वैसे तो दुनियाभर में कई ऐसे रहस्यमयी जगह हैं, जहां के अलग-अलग किस्से और कहानियां हैं। मगर, वृन्दावन धाम स्थित निधिवन जैसा रहस्यमयी स्थान शायद कोई और नहीं होगा। शास्त्रों में भी ये बात वर्णित है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में ही गोपियों के साथ रासलीला की थी। किंतु, निधिवन के बारे में कहा जाता है कि आज भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी और गोपियों संग रासलीला रचाते हैं। यह स्थान बेहद खूबसूरत और अपनी ओर आर्कषित करने वाला है। क्योंकि यहां कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण बसते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताने वाले हैं निधिवन का वह अद्भुत रहस्य।
आधी रात को राधा और गोपियों संग रास रचाते हैं
वृन्दावन में स्थित ये अद्भुत स्थान निधिवन और मधुवन के नाम से मशहूर है। यह मथुरा से 15किलोमीटर दूर यमुना के निकट वृंदावन धाम में स्थित है। मान्यता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी आज भी आधी रात में रासलीला करने के लिए पहुंचते हैं। उनके आते ही निधिवन के तुलसी पेड़ों की बेल गोपियों का रूप धर लेती हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण मुरली बजाते हैं और राधा रानी समेत सभी गोपियों के साथ नृत्य लीला में मगन हो जाते हैं। यहां रास रचाकर भगवान वहीं बने रंग महल में विश्राम करते हैं। और सुबह 5बजे जब 'रंग महल' के पट खुलते हैं तो सेज अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है।
वहीं सुबह होने पर श्रद्धालुओं द्वारा शाम के समय चढ़ाया गया भोग और श्रृंगार का सामान अस्त-व्यस्त मिलता है। रंग महल में बिछाया गया पलंग भी अस्त-व्यस्त मिलता है। देखने पर ऐसा लगाता है कि किसी ने रात्रि विश्राम किया है। इसी तरह गोपियां बनी तुलसी के पेड़ों की बेल भी अपने स्वरूप में लौट जाती हैं। कहते हैं कि इन पेड़ों की शाखाएं कभी ऊपर की तरफ नहीं बढ़ती, बल्कि नीचे की तरफ बढ़ती हैं।
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शाम को बंद हो जाते हैं पट
इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण की रासलीला देखना मनुष्य के लिए मनहायी है। यही वजह है कि शाम की आरती के बाद पट बंद हो जाते हैं। इसके पीछे कई घटनाओं का होना है। स्थानीय लोग कहते हैं कि जिसने राधा-कृष्ण की रासलीला देखने का प्रयास किया या तो वह अंधे हो गए या वे पागल हो गए या फिर उनकी मौत हो गई। निधिवन की विशेष बात ये है कि यहां सभी पेड़-पौधे जोड़े में लगे हुए हैं। इसके साथ ही उनकी शाखाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि कोई भी इन्हें यहां से हिला भी नहीं सकता है। जिसने भी इन्हें यहां से दूसरे स्थान पर ले जाने का प्रयास किया है, वह आपदा का शिकार हुआ है।