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Collapsing Chinese Economy: निवेश का टोटा,बेरोज़गारी डेटा नदारद

रोजगार सृजन: चीन की तत्कालिक चुनौती

Collapsing Chinese Economy: चीन में सब कुछ ठीक नहीं है। आर्थिक स्थिति में लगातार गिरावट के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस), जो आधिकारिक आंकड़े जारी करने के लिए नोडल प्राधिकरण है, उसने घोषणा कर दी है कि वह अब से बेरोज़गारी डेटा प्रकाशित करना बंद कर देगा। आश्चर्य की बात नहीं है कि इस घोषणा से न केवल देश के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें तेज़ हो गयी हैं, बल्कि निवेशक भी हतोत्साहित हो गये हैं। इस क़दम से स्थानीय चीनियों की भावनायें भी आहत हुई हैं।

हर साल औसतन लगभग 10 मिलियन स्नातक चीन के कार्यबल में दाखिल हो जाते हैं।

घटती खपत के साथ देश की आर्थिक वृद्धि में तीव्र मंदी ने बीजिंग के लिए इस कार्यबल में नये लोगों को शामिल करना कठिन बना दिया है।

एक पस्त रियल एस्टेट बाज़ार, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध तेज़, निर्यात में गिरावट ने कोविड 19 महामारी के बाद चीन की आर्थिक सुधार को प्रभावित किया है। 2021 में निजी क्षेत्र पर समग्र कार्रवाई का भी प्रभाव पड़ा है।

हालांकि ,एनबीएस ने कहा कि वह डेटा संकलन की पद्धति की समीक्षा कर रहा है, विश्लेषकों ने कहा है कि देश प्रमुख डेटा और सूचना को विंडो ड्रेसिंग में अपनी ताकत लगायेगा।

जून में शहरी क्षेत्रों में 16 से 24 वर्ष की आयु के श्रमिकों के लिए देश की बेरोज़गारी दर रिकॉर्ड 21.3 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी।

चीन में बढ़ती बेरोज़गारी दर का अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे खपत और प्रभावित होगी।

चीन में विशेषज्ञता रखने वाले एक विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया नैरेटिव को बताया, “इस तरह की अचानक हरक़तें बाहरी के साथ-साथ आंतरिक रूप से भी ग़लत संकेत भेजती हैं। वहीं बाक़ी दुनिया के लिए इससे अधिक संदेह पैदा होगा, चीन में रहने वाले चीनी चिंतित होंगे और इससे खर्चों में सख्ती आयेगी।”

पश्चिम से धीमी मांग के बीच जुलाई में चीन का निर्यात घटकर 14.5 प्रतिशत रह गया। चीन का कारखाना उत्पादन भी जुलाई में लगातार चौथे महीने ख़तरे के निशान पर रहा। जुलाई के लिए विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) – फ़ैक्टरी उत्पादन का एक प्रमुख माप – 49.3 पर था। हालांकि, यह जून के 49 से अधिक सुधार है, लेकिन यह संकुचन को दर्शाता है। 50 से नीचे की किसी भी रीडिंग को संकुचन माना जाता है।

2021 में रियल एस्टेट दिग्गज एवरग्रांडे ग्रुप के पतन के बाद एक और रियल एस्टेट दिग्गज कंट्री गार्डन की हालिया गिरावट ने अर्थव्यवस्था में गहरी समस्याओं का संकेत दे दिया है।

चीन का एक समय तेज़ी से फलता-फूलता रियल एस्टेट सेक्टर, जिसका सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान था, आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक रहा है, लेकिन, इसका धीरे-धीरे पतन एक चुनौती बनता जा रहा है। इससे छाया बैंकिंग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को प्रतिबिंबित करते हुए बैंकिंग प्रणाली में ग़ैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में भी वृद्धि हुई है।

चीन पहले ही इस ‘फ़रेब फ़्लेट’ की परिघटना से प्रभावित हो चुका है। चीन के विशेषज्ञ और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर बीआर दीपक ने पहले ही कहा था, “चीनी मिलेनियम जेनरेशन को इस ‘फ़रेब फ़्लेट’ से ज़्यादा मतलब नहीं हैं। वे पिछली पीढ़ी की तरह ब्लू कॉलर जॉब नहीं करना चाहती। उन्हें घर ख़रीदने, यहां तक कि शादी करने और बच्चे पैदा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह घटना चीनी समाज को प्रभावित कर रही है।”