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फ़र्जी फ़र्मों का फ़रेब: गुरुग्राम में की 1,125 करोड़ रुपये GST की धोखाधड़ी

प्रतीकात्मक फ़ोटो

जीएसटी अधिकारियों ने गुरुग्राम में 539 फ़र्ज़ी संस्थाओं द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के फ़र्ज़ी दावों से जुड़े 1,124.66 करोड़ रुपये के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने एक फोरेंसिक जांच की, जिसमें बड़ी संख्या में जाली आधार कार्ड, पैन कार्ड और फ़र्जी फर्मों के जीएसटी पंजीकरण का पता चला। वित्त मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, यह ऑपरेशन ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर डीसीजीआई की गुरुग्राम जोनल यूनिट द्वारा चलाया गया था और अब तक एक प्रमुख संचालक को गिरफ़्तार किया गया है।

प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि धोखाधड़ी वाला आईटीसी क्रेडिट अंततः अत्यधिक चोरी वाले लौह और इस्पात क्षेत्र तक पहुंच गया है। धोखाधड़ी का पता चलने से रुपये को रोकने में मदद मिली है। फ़र्ज़ी आईटीसी दावों के माध्यम से इन फ़र्ज़ी संस्थाओं में 814.61 करोड़ रुपये पंप किये गये ।

डीजीजीआई गुरुग्राम जोनल यूनिट के अधिकारियों ने बिना किसी अंतर्निहित चालान के ग्रे मार्केट से या विभिन्न अपंजीकृत व्यक्तियों के नाम पर ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से ख़रीदे गए मोबाइल फोन की आपूर्ति के व्यापार में प्रचलित एक कार्यप्रणाली का भी पता लगाया है। कुछ बेईमान व्यक्ति इन मोबाइल फोनों की जमाखोरी करते हैं और उन्हें विभिन्न व्यापारियों को थोक में आपूर्ति कर देते हैं। हालांकि, चूंकि सामान में आईटीसी नहीं होती है, जिसका आगे उपयोग किया जा सकता है, इसलिए ये व्यक्ति फ़र्ज़ी आईटीसी उत्पन्न करने के लिए नकली फ़र्मों का एक नेटवर्क बनाते हैं और फिर इस धोखाधड़ी वाले आईटीसी का उपयोग अपनी जीएसटी देनदारी को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं।

जांच के दौरान अब तक 19 फ़र्ज़ी संस्थाओं के नेटवर्क का पता चला है और 97.44 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता चला है, जिसके परिणामस्वरूप 18.35 करोड़ रुपये की वसूली हो पायी है। आधिकारिक बयान के अनुसार, हाल ही में 9.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से आईटीसी का लाभ उठाने के मामले में एक प्रमुख व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है।