मद्रास उच्च न्यायालय ने आरबीआई को निर्देश दिया है कि वह डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म के माध्यम से धोखाधड़ी वाले लेनदेन में 3 लाख रुपये के नुक़सान के लिए एक डॉक्टर को मुआवज़ा देने के लिए पेटीएम को आदेश दे।
उच्च न्यायालय ने पेटीएम द्वारा उठाए गए उस विवाद को खारिज कर दिया कि इसे उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यह केवल एक सुविधाकर्ता और भुगतान के लिए एक ऑनलाइन माध्यम प्रदाता है, सुरक्षित लेनदेन पर उसका कोई तकनीकी या अन्यथा नियंत्रण नियंत्रण नहीं है। पेटीएम ने यह भी तर्क दिया था कि चूंकि यह अनुच्छेद 12 के तहत बैंक या अन्य प्राधिकरण नहीं है, इसलिए यह किसी भी रिट अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं आता है।
अदालत ने आरबीआई को निर्देश दिया है कि वह पेटीएम को दो सप्ताह के भीतर डॉक्टर को हुए नुक़सान का निपटान करने का आदेश दे।
हालांकि अदालत इस तर्क से सहमत थी कि पेटीएम को रिट क्षेत्राधिकार के तहत एक निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह एक निजी निकाय है।अदालत ने कहा कि आरबीआई को पेटीएम के ख़िलाफ़ अपने स्वयं के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा,”ग्राहक द्वारा अपने बैंकर को शिकायत की गयी थी, और बैंकर पेटीएम के संपर्क में था, इसलिए, पेटीएम अपने दायित्व को अस्वीकार नहीं कर सकता।”
याचिकाकर्ता इस घटना के समय त्रिची के एसआरएम मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर था और डॉक्टर का सिटी यूनियन बैंक में खाता था। उनके बचत खाते में क़रीब 3,20,000 रुपये थे। उसे कई मौकों पर अपने बैंक खाते में हैकिंग के एसएमएस अलर्ट मिले थे और उसने हर बार अपने बैंक को अपना खाता ब्लॉक करने के लिए सतर्क किया था।
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