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Indo-Russia के गहरे होते आर्थिक रिश्ते दुनिया के लिए सामरिक स्वायत्तता का एक संदेश

भारत-रूस तेल समझौता यथावत रहेगा

आर्थिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने को लेकर रूस के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर पैडल दबाते हुए भारत के पास दुनिया के लिए एक संदेश है और वह संदेश यह है कि नई दिल्ली उसी रणनीतिक स्वायत्तता और गतिशीलता से निर्देशित होगा, जो भारत के मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल के अनुरूप है।

रूस पर अमेरिका और पश्चिम द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों के बावजूद दोनों देशों ने पहले ही मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू कर दी है। इस घटनाक्रम पर दुनिया की पैनी नज़र है। भारत ने कहा है कि वह रूस से तेल आयात भी बढ़ा सकता है।

हाल ही में विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्प्रींग मीटिंग में भाग लेने वाशिंगटन गयीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  कहा कि भारत घरेलू हितों के अनुरूप जी-7 देशों द्वारा लगाये गये मूल्य सीमा के आस-पास या उससे अधिक रूसी कच्चे तेल की ख़रीद का पता लगायेगा। भारत अपनी कुल तेल ज़रूरतों का 80 फ़ीसदी से ज़्यादा आयात करता है।

ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने शब्दों को लेकर कोई कंजूसी नहीं की । उन्होंने कहा, “हाँ, क्योंकि अन्यथा, मैं जितना ख़र्च कर सकती हूं, उससे कहीं अधिक भुगतान करुंगी। हमारी बड़ी आबादी है और इसलिए हमें उन क़ीमतों पर भी ध्यान देना होगा, जो कि  हमारे लिए वहन करने योग्य हों।”

 

तेल के अलावा, भारत रूस से उर्वरक भी आयात कर रहा है, जो कृषि क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चे माल में से एक है। रूस से उर्वरक की इनबाउंड शिपमेंट भी बढ़ सकती है।

सूत्रों ने कहा कि अगर उर्वरक की क़ीमत अनुकूल रहती है, तो नई दिल्ली रूस पर अधिक भरोसा करते हुए दूसरे देशों से आयात कम करने पर विचार करेगी।

उप प्रधान मंत्री- रूस के उद्योग और व्यापार मंत्रालय के प्रमुख डेनिस मंटुरोव ने कहा, “हमारे उत्पादन की मात्रा घरेलू बाज़ार की ख़पत की मात्रा से 2.5 गुना अधिक है, इसलिए आपूर्ति की मात्रा बढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।”

मॉस्को व्यापार संतुलन बनाये रखने के लिए नई दिल्ली से आयात बढ़ाने के तरीक़ों पर भी आक्रामक रूप से विचार कर रहा है, जिससे रुपये-रूबल लेनदेन तंत्र को मजबूत करने में मदद मिले।

समाचार संगठन टीएएसएस ने रूसी विदेश मंत्रालय के दूसरे एशियाई विभाग के उप निदेशक अलेक्ज़ेंडर कोज़लोव के हवाले से कहा, “हम भारतीय आयात को बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय प्रारूप में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, क्योंकि हाल ही में उनकी मात्रा अपरिवर्तित बनी हुई है।”

2022 में दोनों देशों के बीच व्यापार का कारोबार 160 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करते हुए 35.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।