अच्छी नौकरी (Job) को लेकर हर किसी के ख्वाब अलग-अलग होते हैं। नौकरी चाहे सरकारी हो या प्राइवेट, लेकिन एक अच्छे सैलरी पैकेज की ख्वाहिश हर किसी को होती है। बढ़िया सैलरी के साथ-साथ अगर उस नौकरी में थोड़ी मौज-मस्ती, थोड़ा आराम और कुछ फुर्सत के फल भी शामिल हों, तो सोने पर सुहागा मानिए।
लेकिन क्या कभी सोचा है देश में हर हाथ को काम देने के लिए सालाना कितना निवेश करना होगा? क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है? एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए जीडीपी (GDP) का पांच प्रतिशत सालाना निवेश करना होगा। रिपोर्ट में बताया गया है देश में सभी को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सरकार को काम का अधिकार कानून बनाने और सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का कम से कम पांच प्रतिशत यानी 13.52 लाख करोड़ रुपये का सालाना निवेश करने की जरूरत है।
वहीं People’s Commission on Employment and Unemployment की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। देश बचाओ अभियान (Desh Bachao Abhiyan) द्वारा स्थापित इस कमीशन ने मंगलवार को अपने अध्ययन ‘काम का अधिकार: भारत के लिए वास्तव में सभ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनने के लिए व्यावहारिक और अपरिहार्य’ रिपोर्ट जारी की।
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रिपोर्ट में बताया गया की पूर्ण रोजगार एक टुकड़े के दृष्टिकोण के जरिये प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके लिए कानूनी, सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं में भारी बदलाव की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को नागरिकों के लिए अच्छी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए ‘काम का अधिकार’ कानून बनाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 21.8 करोड़ लोगों को तुरंत काम की जरूरत है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जिन्हें मनरेगा योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें साथ ही कहा गया है कि अभी 30.4 करोड़ लोगों के पास प्रॉपर काम है।
रोजगार बढ़ने से बढ़ेगी मांग
बताया जा रहा है कि 21.8 करोड़ लोगों के लिए रोजगार सृजित करने के लिए प्रति वर्ष 13.52 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के पांच प्रतिशत के बराबर निवेश की आवश्यकता है। रिपोर्ट में अगले पांच वर्षों के लिए इस खर्च को जीडीपी का सालाना एक प्रतिशत बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया रोजगार बढ़ने से उत्पादन के साथ-साथ मांग भी बढ़ेगी।