लाखों-करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर है। दरअसल, मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया है। श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते के आधार पर कुछ बदलाव किए है। मजदूरी दर सूचकांक की एक नई सीरीज जारी की है। महंगाई के आंकड़ों के आधार पर सरकार समय-समय पर प्रमुख आर्थिक संकेतकों के लिए आधार वर्ष में संशोधन करती है। इससे अर्थव्यवस्था में आने वाले बदलाव को प्रतिबिंबित किया जा सके और मजदूरों के वेज पैटर्न को शामिल किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, दायरा बढ़ाने और सूचकांक को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए मजदूरी दर सूचकांक का आधार वर्ष 1963-65 से बदलकर 2016 किया गया है। महंगाई भत्ते की मौजूदा दर को मूल वेतन से गुणा करने पर महंगाई भत्ते की रकम निकाली जाती है। प्रतिशत की मौजूदा दर 12% है, अगर आपका मूल वेतन 56900 रुपए डीए (56,900×12)/100 है। पिछले 12 महीने का सीपीआई का औसत-115.76. अब जितना आएगा उसे 115.76 से भाग दिया जाएगा, जो अंक आएगा, उसे 100 से गुणा कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनके रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में कोई फर्क न पड़े। ये पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है। भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा। आमतौर पर हर 6 महीने, जनवरी और जुलाई में डीए में बदलाव किया जाता है।