मंकीपॉक्स की अब भारत में भी एंट्री हो चुकी है। जिसके बाद से स्वास्थ्य विभाग की नींदे उड़ी हुई है। मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल के कोल्लम जिले से आया है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बिना देरी किये मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि होने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करा दिया। फिल्हाल उसका इलाज जारी है। एक रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि अब तक 73देशों में मंकीपॉक्स के दस हजार आठ सौ से अधिक मरीजों की पुष्टि हो चुकी है।
केंद्र सरकार अलर्ट पर
मंकीपॉक्स नाम के वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है। जिसकों लेकर सरकार लगातार अलर्ट हो गई है। केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों से कहा कि वह सभी संदिग्ध मामलों की जल्द से जल्द जांच कराएं, साथ ही अपने-अपने राज्यों में अधिक से अधिक टेस्ट कराएं और अस्पतालों में मंकीपॉकेस वायरस को लेकर निगरानी भी बढ़ाई जानी चाहिए। इस नये वायरस को अपने-अपने राज्यों में फैलने से रोके। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने हाई लेवल टीम भी केरल भेज दी है। जिससे समय रहते इस वायरस पर काबू पाया जा सके।
मंकीपॉक्स वायरस क्या है?
मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह संक्रमण बंदरों के साथ चूहे, गिलहरी जैसे कई जानवरों में इंसानों में फैल सकता है, यह वायरस स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही है। मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट के नजदीक मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखने को मिलते हैं। WHO के मुताबिक इस वायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6%है।
मरीज में वायरस के लक्षण
मंकीपॉक्स के शुरुआती दिनों में सबसे पहले मरीज को फीवर आता है। इसके बाद उसके स्किन में रैशेज पड़ना शुरू हो जाती हैं। जैसे ही स्किन में रैशेज होने लगे, वैसे ही मरीज को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा मरीज के बॉडी में पेन, थकान, गले में कफ और शरीर/गले में दाने भी होने लगते हैं। जिससे मरीज को सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। WHO ने बताया है कि मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण में मरीज को फ्लू जैसा लगता हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स भी हो सकता हैं।
ऐसे करें बचाव
मंकी पॉक्स के लक्षण महसूस होते ही खुद को आईसोलेट करें और डॉक्टरों से परामर्श लें। मंकी पॉक्स के वैक्सीन उपलब्ध हैं। कुछ दिनों के उपचार और ऐहतियात के बाद मरीज फिर से स्वस्थ्य हो जाता है।