कोरोना वायरस के दुनियाभर में दस्तक देते ही हर घर में दवाइयों ने अपनी जगह बना ली थी। इनमें जुकाम, खांसी और बुखार की दवाइयों की संख्या बेतशा बढ़ रही थी इनमें सबसे अहम थी डोलो 650। बुखार की दवाई के रुप में डोलो 650का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ और अब बुखार की दवाई के लिए डोलो 650ही सबसे अहम दवाइयों में से एक बन गई है। ऐसे में अब बुखार होने पर लोग डोलो का सहारा लेते हैं। लेकिन, कभी आने सोचा है कि जब बाजार में बुखार के लिए इतनी सारी दवाइयां हैं तो फिर डोलो-650किस वजह से फेमस हो गई।
दरअसल, अभी तो डोलो-650की चर्चा इनकम टैक्स की वजह से है। हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्स चोरी के आरोप में बेंगलुरू स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड नाम की एक फार्मा कंपनी के परिसरों की बुधवार को तलाशी ली। तलाशी के दौरान वित्तीय दस्तावेजों, बैलेंसशीट और डिस्ट्रीब्यूटर्स से संबंधित जानकारी इकट्ठा की है। तो डोलो 650को लेकर हो रही चर्चा के बीच जानते हैं कि आखिर बुखार की दवाई के रुप में किस तरह से डोलो-650हिट हो गई…
क्या है डोलो 650?
डोलो 650एक दवाई कंपनी के प्रोडक्ट का नाम है। डोलो 650में 650एमजी पैरासिटामोल, antipyretic (बुखार कम करने की दवा) और analgesic (दर्द कम करने की दवा) का मिश्रण है। लोग इस दवा का इस्तेमाल बुखार और दर्द कम करने के लिए करते हैं और जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो इसका इस्तेमाल कैसे किया गया।
किस तरह फेमस दवा बनी डोलो-650?
डोलो 650के इतने फेमस होने के पीछे कई कारण हैं। इन कारणों में दवा की आसानी से उपलब्धता और डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन यानी पर्ची का हिस्सा होना शामिल है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में डॉक्टर्स ने डोलो-650लेने का काफी सुझाव दिया था। इस वजह से लोगों ने इस पर विश्वास जताया है और एक समय बाद लोगों ने इसे बिना डॉक्टर की सलाह से ही लेना शुरू कर दिया। उस दौरान कई सरकारी किट में भी बुखार की दवा के लिए डोलो 650का ही इस्तेमाल किया जा रहा था। इसलिए हर तरह इसकी सप्लाई बढ़ने से इस दवा को बुखार की दवा के रुप में स्वीकार कर लिया गया।
डोलो अब कॉमन यूज में आ गई
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अधिकारियों का कहना है, ‘क्रोसिन और डोलो पेरासिटामोल के सबसे ज्यादा सलाह देने वाले ब्रांड हैं। हालांकि, क्रोसिन 500मिलीग्राम फॉर्मूलेशन में अधिक आसानी से उपलब्ध है, जबकि डोलो 650मिलीग्राम फॉर्मूलेशन में उपलब्ध है। चूंकि दूसरी लहर के दौरान लोगों को तेज बुखार हो रहा था, इसलिए कई डॉक्टर डोलो को प्रिस्क्राइब कर रहे थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि पहले डॉक्टर्स ने इसकी काफी सलाह दी और इस वजह से बाद में इसे बिना पर्चा के भी इस्तेमाल किया जाने लगा।