अगर आप भी शहरी दुनिया में अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं तो आपको बांझपन का उच्च जोखिम उठाना पड़ सकता है। जी हां, सही सुना आपने ये जीवनशैली की आदतें महिलाओं में बांझपन को और तेज कर सकती हैं। भारत, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश, खुद को एक विरोधाभासी स्थिति के केंद्र में पाता है क्योंकि यह एक तरफ उच्च आबादी का सामना कर रहा है और दूसरी ओर इसकी प्रजनन दर में साल-दर-साल गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण शहरी महिलाओं के लिए, यह उनकी तेज-तर्रार जीवनशैली और देर से विवाह के कारण चिंता का विषय है।
दरअसल, आज की महिलाएं अपने करियर की आकांक्षाओं और लक्ष्यों को प्राप्त करने में जुटी हुई हैं। जबकि, घर बसाना और अपना खुद का परिवार शुरू करना उनकी आकांक्षाओं की सूची में ही आता है, बहुत सी महिलाएं अपने जीवन में बहुत बाद में ही उस हिस्से तक पहुंच पाती हैं। अब महिलाएं अपने दम पर निर्णय लेने और शादी एवं फैमिली प्लानिंग के संबंध में आजाद रहना पसंद करती हैं।
लेकिन कई महिलाएं इस बात से अनजान हैं कि उनकी जैविक घड़ी किसी का इंतजार नहीं करती है। महिलाओं के लिए यह समय की मांग है कि वे अपने प्रजनन स्वास्थ्य की ठीक उसी तरह देखभाल करें जैसे वे अपनी त्वचा, बालों, मौखिक और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करती हैं। फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के विकल्प के बारे में इतनी कम जागरूकता है कि यह महिलाओं द्वारा विचार की जाने वाली अंतिम बात है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले कुछ वर्षों में बांझपन ने 15-20मिलियन से अधिक भारतीयों को प्रभावित किया है। नवीनतम पारिवारिक स्वास्थ्य और सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में प्रजनन दर में 2.2से 2.0की और गिरावट देखी गई है, जो चिंताजनक है।
विशेषज्ञों ने पाया कि गतिहीन जीवन शैली, तनावपूर्ण पेशेवर जीवन, अस्वास्थ्यकर आहार, धूम्रपान और शराब जैसी आदतें पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में बांझपन को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। आइये जान लेते हैं शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में बांझपन के जोखिम कैसे बढ़ जाते हैं
1. आयु
प्रजनन क्षमता की बात करें तो उम्र एक प्रमुख भूमिका निभाती है। पुरुष और महिला दोनों अपनी उम्र के शुरुआती 20से 30के दशक में सबसे अधिक उपजाऊ होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 35साल की उम्र के बाद महिला प्रजनन क्षमता में तेजी से गिरावट आती है।
2.तनाव
बच्चे समय पर नहीं होने के पीछे का एक मुख्य कारण तनाव भी है। वैसे, आप पहले से ही जानते हैं कि तनाव से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे हृदय रोग, अस्थमा, मोटापा और अवसाद। लेकिन तनाव भी गर्भाधान में बाधा डाल सकता है। विशेषज्ञ युवा भारतीय जोड़ों में कामेच्छा और सेक्स ड्राइव पर व्यस्त जीवन शैली के प्रभाव के बारे में चेतावनी देते रहे हैं। फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, तनाव स्पर्म और सीमेन क्वॉलिटी को भी कम कर सकता है, जिसका पुरुष प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराना तनाव कुछ महिलाओं में ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तनाव हाइपोथैलेमस के कामकाज को प्रभावित कर सकता है। यह मस्तिष्क का केंद्र है जो कुछ हार्मोन को नियंत्रित करता है। यह अंडाशय को हर महीने अंडे छोड़ने के लिए ट्रिगर करते हैं।
3 .धूम्रपान
धूम्रपान न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों दोनों में बांझपन की वजह बनता है। अध्ययनों से मालूम हुआ है कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उन्हें गर्भधारण करने में ज्यादा समय लगता है। अधिक शराब के सेवन से महिलाओं में ओव्यूलेशन विकारों का खतरा भी बढ़ जाता है। ओव्यूलेशन विकार महिला बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है।