जहां अभी कोरोना महामारी के कहर से पूरी तरह राहत भी नहीं मिली की अब एक और अन्य खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। दरअसल, इन दिनों आप भी मंकीपॉक्स वायरस या बीमारी के बारे में बहुत सुन रहे होंगे। मंकीपॉक्स बीमारी कोविड-19के अलावा एक चर्चा का मुद्दा बन गया। यही नहीं 7मई को लंदन में मंकीपॉक्स वायरस का पहला केस मिला था, उस समय वह मरीज नाइजीरिया से लौटा था। इसलिए उम्मीद लगाई गई थी कि वह अफ्रीका में वायरस के संपर्क में आया था। ऐसे में अब तो ये मंकीपॉक्स वायरस स्पेन, पुर्तगाल, कनाडा, अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों में फैल रहा है। वहीं बढ़ते मामलों को देख विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूके के अधिकारियों को वायरस के बारे में लोगों को चेतावनी देने के लिए प्रेरित किया है। अगर आप भी कंफ्यूज है कि ये मंकीपॉक्स क्या बीमारी है, तो आपको ये बातें जरूर जाननी चाहिए।
मालूम हो सबसे पहले किए गए रिसर्च के आधार पर डॉक्टरों ने पता लगाया था कि यह बीमारी 'बूंदों' के माध्यम से फैल रही थी, जिसका मतलब है कि वायरस श्वसन पथ, नाक, मुंह, घाव या आंखों के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। हालांकि, इसके बाद अब रिपोर्टों में ये चेतावनी दी गई है कि यह वायरस संभोग से फैल सकता है। इन रिपोर्टों के अनुसार, यदि मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति किसी स्वस्थ व्यक्ति के साथ यौन संपर्क में आता है, तो वह व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
मंकीपॉक्स का पहला केस 1970में मिला था
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर पश्चिम अफ्रीका की यात्रा से जुड़ा होता है। पहली बार 1958में ये वायरस बंदरों में पाया गया था। यह रोग अन्यथा चिकन पॉक्स के समान है। मानव मंकीपॉक्स की पहचान सबसे पहले 1970में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक 9वर्षीय लड़के में हुई थी, जहां 1968में चेचक को समाप्त कर दिया गया था। हालांकि यूके के मेडिकल टीम का कहना है कि वो अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि उनके देश में मंकीपॉक्स के मामले कहां से और कैसे आएं।
इन जानवरों से रहें दूर
मंकीपॉक्स की बीमारी किसी संक्रमित जानवर के काटने या छूने से भी हो सकता है। यह आमतौर पर चूहों और गिलहरियों सहित कृन्तकों द्वारा फैलता है। संक्रमित जानवर का गलत तरीके से पका हुआ मांस खाने से भी कोई व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो सकता है।
इस बीमारी के क्या लक्षण?
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6से 13दिनों तक होती है, लेकिन यह 5से 21दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण इसकी विशेषता हैं जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं। इसके साथ ही त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार दिखने के 1-3दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।
इलाज
यदि मंकीपॉक्स का शक है, तो स्वास्थ्य कर्मियों को एक उपयुक्त नमूना इकट्ठा करना चाहिए और इसे उचित क्षमता के साथ एक प्रयोगशाला में सुरक्षित रूप से पहुंचना चाहिए। मंकीपॉक्स की पुष्टि नमूने के प्रकार और गुणवत्ता और प्रयोगशाला परीक्षण के प्रकार पर निर्भर करती है। कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को उन उपायों के बारे में शिक्षित करना मंकीपॉक्स की मुख्य रोकथाम की रणनीति है। मंकीपॉक्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए टीकाकरण का आकलन करने के लिए अब स्टडी चल रही है।