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मां-पिता के साथ बेटी ठेले पर बेचती थी सब्जी, आज बन गई सिविल जज- पूरा देश कर रहा सलाम

मां-पिता के साथ बेटी ठेले पर बेचती थी सब्जी

इंदौर की बेटी अंकिता नागर जो कमाल किया वो देश की सारी लड़कियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है। यह इस पिढ़ी के लिए एक सीख है कि गरिबी में भी रहकर अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाए। संघर्ष में तपना जरूरी है लेकिन, इसका परिणाम जरूर मिलता है और जब मिलता है तो न सिर्फ आपको खुशी होती है बल्कि, आपके जुड़े हर किसी को। यहां तक कि पूरे देश पर ऐसे प्रतिभाशाली लोगों के मेहनत पर गर्व होता है। अंकिता नागर अपने माता-पिता के साथ सब्जी बेचते हुए पढ़ाई की और यहीं से वो सिविज जज बनी। उनका चयन जब हुआ तो उनके माता पिता में आपार खुशी दिखी साथ ही पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है।

अंकिता अपने माता-पिता के साथ सब्जी की दुकान पर रहती थी और जैसे ही मौका मिलता वो अपनी तैयारी करनी शुरू कर देती। सिविल जज में चयन होने के बाद भी अंकिता अपनी दुकान पर पहुंचकर सब्जी बेच रही थी। अंकिता की सफलता पर उसके पूरे परिवार को गर्व है। सिविल जज बनी अंकिता (Ankita Civil Judge) को तीसरी कोशिश में यह सफलता हाथ लगी है। एलएलबी की पढ़ाई के दौरान ही वह सिविल जज की तैयारी में जुट गई थी। माता-पिता ने भी अपनी आर्थिक स्थिति को इसकी पढ़ाई में कभी आड़े नहीं आने दिया।

अंकिता नागर का परिवार सब्जी की कमाई से ही पलता था। मां-पिता के साथ दुकान पर वो भी बैठती थी। पिता बाहर से सामान लाने में लगे रहते हैं और मां के पास घर और दुकान दोनों जिम्मेदारी है। अंकिता भी इस काम में मां-पिता का हाथ बंटाती थी। अंकिता का कहना है कि, वह लगातार आठ से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। अंकिता दुकान पर जाकर मां-पिता का समय-समय पर मदद करती थी। अंकिता के पिता सुबह 5:00 बजे उठकर मंडी जाते थे, जब तक वह मंडी से सब्जी लेकर आते, तब तक अंकिता ठेले पर सब्जी बेचती थी। बेटी की सफलता पर उनकी मां कहती हैं कि, उन्हें अपने समय में बेहतर एजुकेशन नहीं मिल पाया लेकिन अपनी बेटी को पढ़ाने का एक सपना देखा था, जो आज सफल हो गया। वहीं, अंकिता से बड़ा एक भाई है और एक छोटी बहन है। अंकिता के बड़े भाई और छोटी बहन की शादी हो चुकी है लेकिन, उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए शादी नहीं की। अंकिता के पिता अशोक कुमार नागर ने कहा कि उनकी बेटी एक मिसाल है क्योंकि उसने जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। पिता ने कहा कि हम बेटा और बेटी को एक समान मानते हैं। हमने उसे पढ़ाया लिखाया और इस लायक बनाया है। उन्होंने कहा कि हम आगे भी ठेला लगाएंगे। हमारा परिवार इसी से पलता है।