भारतीय सेना की ताकत का अदंजा दुनिया भर को है। दुश्मनों ने जब-जब देश पर बुरी नजर डाली है तब-तब उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। खासकर पड़ोसी देशों को तो अच्छे से अंदाजा है कि भारतीय सेना से पंगा लिया तो इसका अंजाम क्या होगा। पुलवामा और ऊरी में जब पाकिस्तान ने अपनी बुरी नजर डाली थी तो उसे पता नहीं था कि इसका अंजाम क्या होगा। भारतीय सेना ने दुश्मनों को घर में घुसकर मारा था जिसके बाद से पाकिस्तान खौफ खाता है। उधर चीन ने भी गलवान में घुसपैठ करने की कोशिश की तो वहां भी इंडियन आर्मी ने अपनी ताकत दिखाते हुए चीन के इरादों पर पानी फेर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देश की सेनाओँ की ताकत बढ़ाने के लिए कई काम कर रहे हैं। इस बीच सेना प्रमुख ने कहा है कि, अगर सशस्त्र बलों पर खर्च एक ऐसा निवेश है जिस पर पूरा रिटर्न मिलता है।
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में बुधवार को पुस्तक 'फिफ्टी ईयर्स ऑफ 1971 वॉर: एकाउंट्स फ्रॉम वेटरन्स' का विमोचन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने शसस्त्र बलों पर खर्च को एक निवेश बताया है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों पर खर्च एक ऐसा निवेश है जिस पर पूरा रिटर्न मिलता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई देश शेयर बाजार के नीचे गिरने और हजारों निवेशकों के कंगाल होने के बाद भी झटके को सह सकता है यदि उसके सशस्त्र बल मजबूत हैं।
इसके आगे सेना प्रमुख ने कहा कि, जब भी हम सशस्त्र बलों की बात करते हैं और सशस्त्र बलों के लिए किये गए निवेश और खर्च के बारे में हम जब भी बात करते हैं, हमें इसे ऐसे निवेश के रूप में देखना चाहिए जो आपको पूरा लाभ देता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, सभी ने देखा कि संकट के समय अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ता है। कहीं भी युद्ध होता है, कभी भी किसी क्षेत्र में अस्थिरता होती है तो आप सीधे शेयरों पर, स्टॉक मार्केट पर असर देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि, इस तरह के झटकों को तभी झेला जा सकता है जब देश के सशस्त्र बल मजबूत हों। सशस्त्र बल देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं, वहीं अन्य अंग भी उतनी ही अहम भूमिका निभाते हैं।