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Indian Army की ताकत से बौखला उठी Pakistani सेना, जनरल नरवणे के बयान से ना-पाक फौज को लगी मिर्ची

भारतीय सेना की ताकत से बौखला उठी Pakistani सेना

भारतीय सेना की ताकत से पाकिस्तान सेना अंजान नहीं है। जब-जब पाकिस्तान ने जंग की शुरूआत की है तब-तब इसका खात्मा भारतीय सेना ने ही किया है और पाकिस्तानी सेना को हमेसा ही मुंह की खानी पड़ी है। जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान पूरी दुनिया में गला फाड़ कर चिल्लाता रहता है। लेकिन इस जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान लगातार अशांती फैलान की कोशिश करता रहता है। यहां कि घाटी में पाकिस्तान की ओर से पिछले कुछ सालों से लगातार सीजफायर हो रहा है जिसे लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कुछ ऐसा कह दिया है कि पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है।

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पाकिस्तान की सेना ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ 2021 में हुए संघर्ष विराम समझौते (Ceasefire Agreement) को किसी की ताकत या दूसरे की कमजोरी के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए। पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवण के उस दावे को पूरी तरह से भ्रामक बताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि युद्धविराम अभी तक बरकरार है, क्योंकि भारत ने ताकत की स्थिति में रहते हुए इस पर बातचीत की थी। इसी बात से पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है।

तनाव कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने पिछले साल 25 फरवरी को इस बात को स्वीकर किया था कि वे 2003 में हुए संघर्ष विराम समझौते का पालन करेंगे। इसके तहत दोनों पक्ष नियंत्रण रेखा के पार गोलीबारी को बंद कर देंगे। पाकिस्तान सशस्त्र पलों के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार की टिप्पणी से एक दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम बरकरार है, क्योंकि, हमने ताकत की स्थिति के साथ बातचीत की।

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जनरल नरवणे के इस बयान के बात पाकिस्तानी सेना बौखला उठी और पाक सेना के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा कि, यह सच नहीं है और ये किसी भी पक्ष की ताकत को नहीं दर्शाता है। मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने लिखा कि, भारतीय सेना प्रमुख ने LOC पर युद्धविराम के टिके होने को लेकर ये दावा करना कि ये ताकत की स्थिति से बरकरार है। ऐसा पूरी तरह से भ्रामक है। LOC के दोनों हिस्सों पर रहने वाले कश्मीर के लोगों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान की चिंताओं की वजह से ही इस पर सहमति बनी थी। किसी भी पक्ष को इसे अपनी ताकत या दूसरे की कमजोरी के रूप में गलत नहीं समझना चाहिए।