ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसनको भारत तो आना ही था। पिछली बार कोरोना के कारण उनका दौरा रद्द हो गया था। मगर रूस और यूक्रेन जंग के दौरान ज़ॉनसन का भारत आना कुछ खास संदेश दे रहा है। भारत अपने रुख पर तटस्थ है। भारत की तटस्थता की तारीफ अमेरिका ने भी की है। मगर ऐसा कुछ तो है जिसके माध्यम से जॉनसन पीएम मोदी के रुख को मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अहमदाबाद में जेसीबी पर चढ़ जाना।
गुजरात पहुंचने पर स्वागत सत्कार को देखकर कृतज्ञता दिखाना, भारत में ब्रिटेन जैसा स्वभाविक दिखाना। यह सारी घटनाएं ऐसी हैं जिनसे वो गुजरातियों या हिंदुस्तानियों का दिल जीतने की कोशिश नहीं कर रहे बल्कि पीएम मोदी का दिल जीतने की कोशिश जरूर है। इसी के साथ भारत में उनकी यात्रा एमआई 17 हेलिकॉप्टर में नहीं रही। वो जहां भी गए चिनूक उनकी सेवा में लगा था। एमआई 17 रूस में बना हेलिकॉप्टर है। ब्रिटेन रूस का दुश्मन है। यूक्रेन को मदद कर रहा है। तो फिर ब्रिटिश पीएम रूस के बने हेलीकाप्टर पर कैसे चढ़ते।
हालांकि जॉनसन ने भारत में 'शानदार स्वागत' के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी भारत यात्रा दोनों देशों के लिए एक 'बहुत ही बेहतरीन क्षण' है, क्योंकि यूके-भारत संबंधों में चीजें कभी भी उतनी अच्छी नहीं रही, जितनी अब हैं।
ब्रिटेन और भारत की रणनीतिक रक्षा, कूटनीतिक और आर्थिक साझेदारी पर गहन बातचीत करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत की दो दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में घनिष्ठ साझेदारी और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना है। रूस और यूक्रेन के निगाहें भी जॉनसन की भारत यात्रा पर लगी हैं। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है जब पीएम मोदी और जॉनसन एक साथ बैठेंगे तो क्या-क्या बातें होंगी।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अमेरिका प्रत्यक्ष-परोक्ष भारत पर मध्यस्थता करने का दवाब डाल ही रहा है। जेलेंस्की पीएम मोदी से मध्यस्थता की गुहार पहले ही लगा चुके हैं।