Budget session 2023: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2023 यानि आज मंगलवार से शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से हो गयी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगी। इस दिन केंद्र सरकार अपना आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश करेगी। यह एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट का संकेत दे सकता है। इस सत्र की बैठकें पुराने संसद भवन में होंगी, हालांकि नया संसद भवन बनकर लगभग तैयार हो चुका है। राष्ट्रपित के अभिभाषण बाद एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से पहले आज देश का इकोनॉमिक सर्वे यानी आर्थिक समीक्षा संसद में पेश किया गया। देश की अर्थव्यवस्था 2023-24 में चालू वित्त वर्ष के सात प्रतिशत की तुलना में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। पिछले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
संसद में मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण को पेश कर दिया है। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई अच्छी बात तो कुछ चिंता भी जताई गई है। तो आइये अब जान लेते हैं प्वाइंट में जानते हैं आर्थिक सर्वेक्षण की सभी अहम बातें। भारत की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 6.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी। वहीं, चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहेगी। वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 फीसदी रही थी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर।
-भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
-भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। निजी खपत, उच्च कैपेक्स, कॉर्पोरेट बैलेंस शीट में मजबूती, छोटे व्यवसायों के लिए ऋण वृद्धि और शहरों में प्रवासी श्रमिकों की वापसी से विकास की रफ्तार तेज हुई है।
-क्रय शक्ति समानता (पीपीपी ) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वहीं, विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
-वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक विकास के आधार पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अगले वित्तीय वर्ष में 6-6.8 फीसदी रह सकती है।
-कोरोना महामारी से भारत की रिकवरी अपेक्षाकृत काफी तेज रही है। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत घरेलू मांग से समर्थन मिला है। इसके चलते पूंजी निवेश में तेजी आई है।
-भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई 6.8 फीसदी की अधिकतम दर तक पहुंच सकती है।
-महंगाई को काबू करने के लिए कर्ज लंबे समय तक महंगा रह सकता है।
-अमेरिकी केंद्रीय बैंक यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना से डॉलर के मुकाबले रुपये कमजोर हो सकता है।
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-भारत ने अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में असाधारण चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना किया
-चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है क्योंकि वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमत ऊंची बनी हुई है। वहीं, अर्थव्यवस्था में अच्छी मांग है। अगर चालू खाते का घाटा बढ़ता है तो रुपया कमजोर होगा।
-वित्त वर्ष 21 में गिरावट के बाद, छोटे व्यवसायों द्वारा जीएसटी भगतान बढ़ने से GST का कलेक्शन तेजी से बढ़ा। अबक यह पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर गया है।
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