पाकिस्तान (Pakistan) की इस समय जो हालत है वो बिलकुल भी सही नहीं है। जहां एक तरफ मुल्क पहले से ही कंगाली में डूबा पड़ा है तो वहीं कई सामान की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है। ऐसे में अपनी काली करतूतों पर इतराने वाला पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था जो अब यही उसके लिए नासूर बन गए हैं। आलम यह है कि अगर पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति बरकरार रहा तो मुल्क आतंकवादियों के कब्जे में हो जाएगा। दरअसल, पेशावर में सोमवार को हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर से आतंकवाद को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस हमले में 93 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। फिदायीन हमले में 150 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। पेशावर में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के एक धड़े ने ली है।
खास बात ये वही आतंकी हैं जिन्हें पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए जन्म दिया था। अब वही उनकी नाक में दम कर रहे हैं। पाकिस्तान में पिछले तीन साल में आतंकवाद के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 2021 की तुलना में 2022 में आतंकवाद (Terrorism) की घटनाओं में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा सुरक्षा विशेषज्ञ भी आतंकी घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। ये घटनाएं तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं, जब देश राजनीति और खराब अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से जूझ रहा है। आतंकवाद के मुद्दे पर भी पाकिस्तान में राजनीति हुई है।
मुल्क में आतंकवाद का लंबा इतिहास
वैसे पाकिस्तान में ये कोई नया आतंकवाद नहीं है। अमेरिका में 9/11 हमले से पहले भी यहां आतंकवादी घटनाएं देखने को मिलती थी। 2008 में जनरल मुशर्रफ के कार्यकाल में यह अपने चरम पर था। बातचीत और लगातार ऑपरेशन के बावजूद पाकिस्तान में रोजाना 2013 तक आतंकवाद की घटनाएं हुईं। हालांकि 2014 से 2020 तक इन घटनाओं में कमी देखने को मिली। 2021 में 2014 की ही तरह आतंकवाद में एक बार फिर वृद्धि देखने को मिली।
ये भी पढ़े: नई जंग की शुरुआत! TTP ने पेशावर की मस्जिद में बहाई खून की नदियां, कहा-अब बदला हुआ पूरा
पाकिस्तान ने आतंकवाद पर नहीं लगाई लगाम
नेशनल एक्शन प्लान की रिपोर्ट लागू होने के बाद आतंकवाद के मामले में कमी देखी गई है। 2014 में 600 आतंकी घटनाएं देखी गई थीं। 2016 में यह 441 तक पहुंच गया। 2007 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि चाहे जितने प्लान पाकिस्तान ने लागू किए हों, उससे आतंकवाद में सिर्फ कमी हुई है। लेकिन उसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका।
इमरान ने की थी तालिबान की तारीफ
पाकिस्तान ने इसी साल आतंकियों से बातचीत शुरू की थी। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार आतंकियों को उसकी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगी। अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान का समर्थन किया था। वह अपने भाषणों में कहते रहे कि तालिबान ने नाटो और अमेरिका को हरा दिया। अफगान तालिबान हो या TTP दोनों की विचारधारा एक ही है।
ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…
मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…
हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…
इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…
Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…
The Kashmir Files के डायरेक्टर पर बॉलीवुड अदाकारा आशा पारेख बुरी तरह बिफर गई। विवेक…