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बड़ी खबर: घोर बिजली संकट से घिर सकता है भारत, बड़े पावर प्लांट्स के पास सिर्फ चार दिनों का कोयला

घोर बिजली संकट से घिर सकता है भारत

भारत में भी चीन की तरह बिजली संकट पैदा हो सकती है। देश की जनता बिजली के लिए परेशान हो सकती है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि देश के पॉवर प्लांटस् भारी कोयले की किल्ल्त से जुझ रहे हैं। दरअसल, देश में खानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मुताबिक, 3 अक्टूबर को कोयले से बिजली बनाने वाले 64 प्लांट्स में चार दिन से भी कम का कोयला स्टॉक बचा था। यानी वे बिना सप्लाई मिले चार दिन तक ही बिजली बना सकते थे। हालात पिछले महीने से ही गड़बड़ हैं।

देश में 70 फीसदी बिजली उत्पादन केंद्र कोयले पर आधारित है। कुल 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से 72 के पास कोयले का 3 दिन से भी कम का स्टॉक है। जबकि 50 पावर प्लांट ऐसे है जहां कोयले का 4 से 10 दिन का स्टॉक बचा हुआ है। 13 प्लांट्स ही ऐसे हैं जहां 10 दिन से ज्यादा का कोयला बचा है। देश में कोयले के संकट का असर राज्य की बिजली उत्पादन इकाइयों पर पड़ने लगा है। हरदुआगंज (अलीगढ़) और पारीक्षा (झांसी) की दो-दो कुल चार इकाइयों से बिजली का उत्पादन पूरी तरह ठप कर दिया गया है। कोयले से चलने वाली अन्य उत्पादन इकाइयां भी कम क्षमता पर चल रही हैं।

इस सारे मामले में ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि कोयला के आयत में दिक्कतें आ रही है। वहीं देश में मानसून की वजह से उत्पादन में कमी आई है। ऊर्जा मंत्रालय ने बताया है कि बिजली संकट के पीछे एक वजह कोरोना काल भी है। दरअसल, इस दौरान बिजली का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ है और अब भी पहले के मुकाबले बिजली की मांग काफी बढ़ी हुई है। 

इस संकट पर ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि मैं नहीं जानता कि आने वाले पांच से छह माह में भी हम ऊर्जा के मामले में आरामदायक स्थिति में होंगे। 40 से 50 गीगावॉट की क्षमता वाले कोयला प्लांट्स में तीन दिन से भी कम का ईंधन बचा है। सरकारी मंत्रालय कोल इंडिया और एनटीपीसी लिमिटेड जैसी सरकारी कोयला कंपनियों से कोयले के खनन को बढ़ाने के लिए काम कर रही है ताकि मांग के मुताबिक बिजली बन सके।