गूगल ने सत्येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose) का डूडल बनाकर सम्मान दिया है। सत्येंद्र नाथ बोस भारत के महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। उनका काबिलियत का अंदाजा इसी से लगा लें कि दुनिया के महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन भी बोस के बड़े फैन थे। बोस को 1920 को दुनियाभर में उनके क्वॉटम फिजिक्स पर किए गए शोध के चलते जाना जाता है। आइंस्टीन उनकी Quantum Theory के मुरीद थे। हालांकि, भारत में सत्येंद्र नाथ बोस को वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे।
भारत में किसी पत्रिका तक ने सत्येंद्र नाथ बोस को सम्मान नहीं दिया। उनके शोध पत्रों तक को किसी भी पत्रिका ने स्थान नहीं दिया। 1 जनवरी 189 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्में बोस के पिता सुरेंद्रनाथ बोस ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी के इंजीनियरिंग विभाग में काम करते थे। सत्येंद्र नाथ बोस अपने 7 भाई बहनों में सबसे बड़े थे। इनकी शुरुआती पढ़ाई नाडिया जिले के बाड़ा जगुलिया गांव में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें प्रेसिडेंसी कॉलेज का रुख किया। इसके बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज से ही सन 1915 में उन्होंने अप्लाइड मैथ्स से अपनी MSc पूरी की। इसके बाद 1916 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के रूप में प्रवेश किया और Theory of Relativity की पढ़ाई शुरू की।
कुछ साल पहले जब हिग्स बोसोन (गाड पार्टिकल) की खोज की गई तो इस दौरान सत्येंद्र नाथ बोस का नाम चर्चा में आ गया। दरअसल, हिग्स बोसोन में हिग्स नाम एक ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर रखा गया जबकि, बोसोन नाम भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया था। सत्येंद्र नाथ बोस भौतिक विज्ञानी के साथ गणितज्ञ भी थे। उनको बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक और बोस-आइंस्टीन केंडेनसेंट सिद्धांत के लिए भी जाना जाता है. बोस की खोज क्वॉटम फिजिक्स को नई दिशा प्रदान करती है। बोस के बारे में यह भी कहा जाता है कि, उन्हें इंटरमीडिएट की गणित की परीक्षा में 100 में से 110 अंक दिए गए। क्योंकि, पूधे गए सभी प्रश्नों का उन्होंने सही जवाब तो दिया ही साथ ही कई सवालों को अलग-अलग तरीकों से हल कर दिया था। इसके बाद जब उनकी कॉपी जांची गई तो उन्हें 100 में से 110 अंक दिए गए। इसके साथ ही उन्होंने MSc भी रिकॉर्ड नंबर से पास की थी, ये नंबर आज भी रिकॉर्ड है।