Independence Day Special: भारत अपनी आजादी की 76वीं सालगिरह मनाने जा रहा है। 15 अगस्त की रात को भारत की आजादी (Independence Day Special) के साथ ही पाकिस्तान का भी उदय हुआ। पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना। कई लोग पाकिस्तान के बनने के लिए महात्मा गांधी को जिम्मेदार मानते हैं। कट्टर दक्षिणपंथी मानते हैं कि मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने के लिए महात्मा गांधी ने जिन्ना की मांग मान ली। मुस्लिम तुष्टीकरण की बात को तब और समर्थन मिल जाता है, जिसके तहत महात्मा गांधी आजादी के दौरान पाकिस्तान जाना चाहते थे। ये सच है कि गांधी आजादी के बाद पाकिस्तान जाना चाहते थे, लेकिन उनकी इस ख्वाहिश के कई और कारण भी माने जाते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की किताब ‘गांधींज़ हिंदुइस्म: द सट्रगल अगेंस्ट जिन्नास इस्लाम’ (Gandhi’s Hinduism the Struggle Against Jinnah’s Islam) में कहा गया है कि महात्मा गांधी 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी का पहला दिन पाकिस्तान में बिताना चाहते थे। उनका यह कदम न तो प्रतीकात्मक था और न ही इस्लाम के नाम पर बने पाकिस्तान को समर्थन का इशारा।’ कहा जाता है कि महात्मा गांधी की पाकिस्तान विजिट की घोषणाओं पर उस समय के प्रमुख नेताओं ने कोई गौर नहीं किया।
भारत के विभाजन में नहीं था गांधी का विश्वास
किताब के मुताबिक महात्मा गांधी भारत के विभाजन और एक अप्राकृतिक बॉर्डर को बनाने में विश्वास नहीं करते थे। वह एक हिंदू थे और मानते थे कि भारत में सभी धर्मों को साथ रहना चाहिए। उन्होंने भारत के बंटवारे को एक क्षणिक पागलपन भी बताया था। महात्मा गांधी ने 1909 में लिखी अपनी किताब हिंद स्वराज में कहा था, ‘अगर हिंदू मानते हैं कि वह एक ऐसी भूमि पर रहेंगे, जहां केवल हिंदू ही रहें तो वह सपनों की दुनिया में रह रहे हैं। हिंदू, मुसलमान, पारसी और ईसाई जिन्होंने भारत को अपना देश बनाया है वे साथी देशवासी हैं। उन्हें अपने हितों के लिए ही एकता के साथ रहना होगा। दुनिया के किसी भी हिस्से में एक राष्ट्रीयता और एक धर्म पर्यायवाची शब्द नहीं हैं और न ही ये भारत में कभी रहा है।’
जिन्ना ने चाहा धर्म के नाम पर देश
एक तरफ हिंदू विचारधारा वाले गांधी मानते थे कि सभी धर्मों के लोग एक साथ भारत में रह सकते हैं। वहीं, आजादी की बात आते ही मोहम्मद अली जिन्ना ने इस्लाम ने नाम पर एक नया देश बनाने की मांग की। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियन 1947 ने वास्तव में दो आधुनिक राष्ट्र भारत और पाकिस्तान बनाए। यह निश्चित तौर पर मुस्लिम राष्ट्र की कल्पना के अनुरूप था। भारत का विभाजन इस दौरान शांति पूर्वक नहीं हुआ। पाकिस्तान और भारत में बड़े पैमाने पर दंगे हुए, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों की ही बड़ी संख्या में जान गई।
पाकिस्तान क्यों जाना चाहते थे गांधी
एम जे अकबर की किताब के मुताबिक आजादी के बाद महात्मा गांधी की सबसे बड़ी चिंता दोनों देशों के अल्पसंख्यक थे। पाकिस्तान में हिंदू और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक थे। उन्होंने कई हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। किताब में लिखा गया, ‘गांधी पूर्वी पाकिस्तान के नोआखली में रहना चाहते थे, जहां 1946 के दंगों में हिंदुओं का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। ऐसा इस दौरान न हो इसलिए गांधी वहां जाना चाहते थे।’ किताब में कहा गया है कि 31 मई 1947 को गांधी ने फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर पठान नेता अब्दुल गफ्फार खान से कहा कि वह आजादी के बाद पश्चिमी सीमा का दौरा करना और पाकिस्तान में रहना चाहते हैं। किताब के मुताबिक महात्मा गांधी ने कहा, ‘मैं देश के इस बंटवारे में विश्वास नहीं करता। मैं किसी से इजाजत नहीं मांगने जा रहा। अगर वह मुझे इसके लिए मारते हैं तो मैं मुस्कुराते हुए मौत को गले लगाउंगा। अगर पाकिस्तान बना तो मैं वहां जाने का इरादा रखता हूं, इसका दौरा करूंगा और देखूंगा कि वे मेरे साथ क्या करते हैं?’
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