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Agni-4: भारत ने दागी अग्नि-4 तो दहल गए चीन पाकिस्तान, इंडियन आर्मी के घातक हथियारों से कांपते हैं दुश्मनों के दिल

Agni-IV का सफल परीक्षण

भारत ने ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड पर शक्तिशाली इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि  (Agni-4Missile) का सफल परीक्षण किया है। वैसे तो इस मिसाइल की टेस्टिंग ओडिशा में किया गया है लेकिन, इसके चलते पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई होगी। दोनों ही के लिए ये बड़ा झटका है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, ये 4000 किलोमीटर दूर तक वार करने में सक्षम है।

रक्षा मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि, अग्नि-4 मिसाइल का यह परीक्षण सोमवार शाम 07.30 बजे किया गया है। इसके आगे रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, इस दौरान इसके सभी मापदंडों की परख की गई साथ ही प्रणाली को भी जांचा गया। यह लॉन्च स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड के अंतर्गत रूटीन यूजर ट्रेनिंग का हिस्सा था। यह सफल परीक्षण विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता की भारत की नीति को पुष्ट करता है। भारत की इस शक्तिशाली मिसाइल का डिजाइन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने तैयार किया है। वहीं इसका निर्माण भारत डायनमिक्स लिमिटेड की ओर से किया गया है।

अग्नि-4 मिसाइल 900 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है। साथ ही इसमें कई आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। इसमें रिंग लेजर गाइरो इनर्शियल नेवीगेशन सिस्टम भी लगा है, इसकी मारक क्षमता सटीक है।

अग्नि-4 मिसाइल की खासियत

अग्नि-4 मिसाइल (Agni-4Missile) की एक्टिव रेंज 3500 से 4000 किलोमीटर है।

यह अधिकतम 900 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीधी उड़ान भर सकती है।

इसके सटीकता 100 मीटर है, यानी हमला करते समय यह 100 मीटर के दायरे में आने वाली सभी वस्तुओं को खाक कर देती है।

दुश्मन या टारगेट चाहकर भी ज्यादा दूर नहीं भाग सकता।

इसे लॉन्च करने के 8×8 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर या फिर रेल मोबाइल लॉन्चर से दागा जाता है।

इसका नेविगेशन डिजिटली नियंत्रित किया जा सकता है।

इसका एवियोनिक्स सिस्टम इतना भरोसेमंद है कि इसे दुश्मन की ओर बेहद सटीकता से दागा जा सकता है।

 

अग्नि-4 का पहले सफल परीक्षण 15 नवंबर 2011 में हुआ था।

उसके बाद इस परीक्षण मिलाकर कुल 8 परीक्षण किए जा चुके हैं।

इसमें एक टन का हथियार लोड किया जा सकता है।

ये 3000 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहते हुए वायुमंडल के अंदर प्रवेश कर सकती है।

भविष्य में इसका इस्तमाल अंतरिक्ष में भी किया जा सकता है।