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1971 के युद्ध की सबसे खूनी लड़ाई ‘बैटल ऑफ हिली’, जहां Indian Army का बजा डंका

1971 के युद्ध की सबसे खूनी लड़ाईयां ‘बैटल ऑफ हिली

भारत और पाकिस्तान के बीच कई जंग लड़ी गई। जिसमें 1971 की लड़ाई भी है। इस जंग के बाद भारत ने पाकिस्तान को दो टुकड़ो में बांट दिया और एक नया देश का जन्म हुआ बांग्लादेश। 71 की लड़ाई में  ‘बैटल ऑफ हिली’ में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया। हिली की लड़ाई में उस समय के भारत के सेनाअध्यक्ष मानेक शॉ चाहते थे कि भारतीय फैज हिली पर किसी भी कीमत पर कब्जा करे जिससे पाकिस्तानी सेना को दो हिस्सों में बांटा जा सके।

हिली पर हमले करना आसान नहीं था। पाकिस्तान की सेना कई मोर्चों पर कमान संभाले हुई थी। जब भारत ने हमला किया तो इस लड़ाई की शुरुआत युद्ध की औपचारिक घोषणा से 10 दिन पहले 23 नवंबर को ही हो गई थी। भारतीय सेना को शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पहले से ही भारी संख्या में बैठे पाकिस्तानी सैनिक भारी पड़ रहे थे और देखते ही देखते भारत के 150 जवान शहीद हो गए। इसके बाद भारत ने अपनी रणनीति बदली और जोरदार हमला किया।

अपने जज्बे और समझादारी से भारतीय सेना हिली की बैटल जीत ली।  इसे  1971 की सबसे खूनी लड़ाई कहा जाता है। आठ गार्ड के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल समशेर सिंह को जंग के बाद महावीर चक्र से समानित किया गया। वहीं बटालियन को तीन महावीर चक्र, दो वीर चक्र और एक सेना मेडल से नवाजा गया।

1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।  पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था।