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मोदी कैबिनेट का क्रांतिकारी कदम, आधार से लिंक होगा वोटर आईडी कार्ड, फर्जी वोटर्स का धंधा बंद

फर्जी वोटरों का पत्ता साफ!

मोदी सरकार ने चुनाव प्रकिया संशोधन में क्रांतिकारी कदम उठाने का ऐलान कर दिया है। अब 18 साल से ऊपर के हर आदमी का आधारकार्ड वोटर आईकार्ड से लिंक हो जाएगी। आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक कर देने से फर्जी वोटर कार्ड की आशंका लगभग खत्म हो जाएगी।सरकार के इस क्रांतिकारी कदम से हर साल जुड़ने वाले लाखों युवाओं को मताधिकार भी खुद ही मिल जाएगा। 18 साल की उम्र पूरी करने वाले युवाओं को मतदाता सूची में जोड़ने का काम साल में चार बार अलग-अलग तारीखों में किया जाएगा। हालांकि ये स्वैच्छिक होगा। मगर इस क्रांतिकारी कदम का लाभ यह होगा कि सरकार को हर बार मतदाता सूची संशोधित करने में संसाधन और पैसे का अपव्यय रुक जाएगा।

सरकार ने चुनाव प्रक्रिया में एक बड़े सुधार का रास्ता साफ किया है। बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में चुनाव सुधार से जुड़े एक बिल को मंजूरी दी गई। बिल के मुताबिक, आने वाले समय में वोटर आईडी कार्ड को उस शख्स के आधार नंबर से जोड़ा जाएगा। आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने का फैसला स्वैच्छिक होगा। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से फर्जी वोटर कार्ड से होने वाली धांधली रोकी जा सकेगी।

आधार और वोटर आईडी जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के लिए कदम उठाएगी। प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।

भारत निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिये कई ‘कटऑफ डेट्स’ की वकालत करता रहा है। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि एक जनवरी के कटऑफ डेट के चलते वोटर लिस्‍ट की कवायद से कई युवा वंचित रह जाते थे। केवल एक कटऑफ डेट होने के कारण 2जनवरी को 18वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिये अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।

कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के बाद अब इस बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार ने इस बिल को संसद के दोनों सदनों में पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल का जुगाड़ भी कर लिया है। इस क्रांतिकारी कदम के बाद सरकार की जिम्मेदारी यह भी बढ़ गई है कि अब आधारकार्ड की सिक्योरिटी को और अधिक बढ़ाया जाए ताकि फर्जी या डुप्लिकेट आधार कार्ड न बनाए जा सकें। आधार की सिक्योरिटी को फूल प्रूफ बनाने के लिए सरकार ने कड़े नियम बनाने जा रही है।

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