शहर हो तो इंदौर जैसा, साफ और सुंदर। इस शहर ने इतिहास रच दिया है। केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार पांचवी बार देश का सबसे साफ शहर बना है। बता दें कि मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहलाने वाले इंदौर शहर में रोजाना 1200 टन कचरा निकलता है लेकिन इसके बाद भी शहर में गंदगी दिखाई नहीं देती है। इंदौर ने गीले तथा सूखे कचरे के प्रसंस्करण से शहरी निकाय की मोटी कमाई के टिकाऊ रास्ते खोजना और बड़े पैमाने पर गंदे पानी के उपचार से इसे दोबारा उपयोग किए जाने जैसे क़दमों से इस मंजिल को पाया है। इंदौर के इस कीर्तिमान के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर बधाई दी है।
स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के सलाहकार असद वारसी ने शनिवार को बताया कि शहर में औसतन 300 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) गंदा पानी उत्सर्जित होता है और अलग-अलग इलाकों में बने विशेष संयंत्रों में इसके उपचार के बाद 110 एमएलडी पानी सार्वजनिक बगीचों, खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है।” अधिकारियों ने बताया कि गंदे पानी के प्रबंधन के सर्वश्रेष्ठ इंतजामों के चलते ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के तहत इंदौर को देश के पहले ‘वॉटर प्लस’ शहर के खिताब से अगस्त में नवाजा गया था।
इंदौर शहर को 2017 से लगातार सबसे स्वच्छ शहर के रूप में स्वच्छता मिशन के तहत पुरस्कार दिया जा रहा है। इस बार इंदौर को सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में सर्वश्रेष्ठ शहर घोषित किया गया है। इसमें स्वच्छता मिशन के कार्यक्रम के तहत न केवल स्वच्छता का काम किया जाता है बल्कि इसके माध्यम से लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इंदौर को डस्ट फ्री शहर माना गया है। यहां नदी नालों के गंदे पानी को पुनः उपयोग करने लायक बनाने का काम भी किया जाता है।