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kiren Rijiju बोले- सभी बड़े मामलों को हाथ में लेकर करोड़ों कमाते हैं कुछ वकील

kiren Rijiju on Judiciary

kiren Rijiju on Judiciary: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर से जजों और वकीलों (kiren Rijiju on Judiciary) के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल खडा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि, अदालतों में पेंडिंग मामलों की भरमार है। कुछ वकील तारीख मांगते रहते हैं और कुछ जज उनको तारीख देते भी रहते हैं। ऐसे में जिन लोगों पर न्याय देने की जिम्मेदारी है, वे न्याय देने में सक्षम नहीं रहते। उन्होंने कहा कि, न्याय देने में देरी नहीं करनी चाहि। सुप्रीम कोर्ट (kiren Rijiju on Judiciary) में कुछ ऐसे वकील हैं, जिनकी तारीखें पहले आती हैं। कुछ वकील कहते हैं कि अगर उन्हें केस मिलेगा, तो वे जीतकर दिखा देंगे। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, कुछ बड़े वकील (kiren Rijiju on Judiciary) तो ऐसे हैं जो सभी बड़े केस ले लेते हैं और उनसे करोड़ो रुपये भी कमाते हैं। उन्होंने कहा कि, इन लोगों को पूरी जगह पर कब्जा नहीं करना चाहिए। इन्हें छोटे वकीलों को भी मौका देने की जरूरत है और साथ ही दूसरों के साथ भी मामलों को शेयर करना चाहिए।

न्याय देर से नहीं मिलनी चाहिए
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की ओर से हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। यह 26 से 28 दिसंबर तक चलेगा जो इस तरह का 16वां सम्मेलन है। इस बार की थीम ’75 साल के पुनरुत्थान भारत-कानून और न्याय की बदलती रूपरेखा’ रखी गई है। इस सम्मेलन में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत के 500 से अधिक जिलों के लगभग 5,000 वकील भाग लेने वाले हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि, न्याय देर से नहीं मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के वकील निचली अदालतो में भी जा सकते हैं क्योंकि कोर्ट तो कोर्ट ही होता है।’

कुछ वकील ऐसे भी हैं जो महज एक पेशी के लिए 30-40 लाख रुपये चार्ज करते हैं
इसके आगे केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि, कुछ ऐसे वकील हैं जिनकी तारीख पहले आ जाती है। कुछ वकील तो कहते हैं कि अगर आप उन्हें कोई केस देंगे तो वो आपकी जीतने में मदद करेंगे। इस तरह के वकील भी हैं जो महज एक पेशी के लिए 30-40 लाख रुपये चार्ज करते हैं और कुछ वकीलों के पास तो काम तक नहीं होता है। हालांकि, प्रावधान तो सभी के लिए बराबर हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, अदालतों में बहुत से मामले लंबित हैं। कुछ वकील तारीखें ही मांगते रहते हैं और कुछ ऐसे हैं जो उन्हें तारीखें दे भी देते हैं। यही सब वजहें हैं कि न्याय देने के लिए जिम्मेदार लोग जस्टिस करने में सक्षम नहीं हैं।’

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