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हॉकी की दुनिया में छाए मेघबरन स्टेडियम के लाल,कभी लकड़ी की छड़ी से खेलते थे प्‍लेयर्स

हॉकी खिलाडियों का कमाल

 meghbaran sadium news: जीवन में हर व्यक्ति की ऐसी ख्वाहिश होती है कि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए हमेश सफल हो। इसके लिए आदमी खूब प्रयास और परिश्रम भी करता है, लेकिन कई बार कुछ लोगों को उनको मन मुताबिक सफलता शीघ्र ही मिल जाती है, जबकि कुछ को उसे पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। ऐसी ही कुछ दिल छू देने वाली कहानी गाजीपुर के एक छोटे से गांव करमपुर के बच्चों की भी है। जिन्होंने कड़ी मेहनत कर न सिर्फ अपने मां बाप का नाम रोशन किया बल्कि अपने गांव का भी मान बढ़ाया।

ये संघर्ष भरी कहानी गाजीपुर (Ghazipur) के एक छोटे से गांव करमपुर में बने मेघबरन स्टेडियम (meghbaran stadium) का है यहाँ से लगातार ऐसे खिलाड़ी निकल रहे हैं जो कि देश विदेश में ख्याति हासिल कर रहे। इतना ही नहीं इस स्टेडियम के साथ गाजीपुर का नाम भी वैश्विक मानचित्र पर मशहूर कर रहे हैं। भारतीय हॉकी टीम के नामचीन फारवर्ड खिलाड़ी ललित उपाध्याय (ओलंपियन) ने जहा ओलंपिक मैच में भारतीय टीम को ब्रॉन्‍ज मेडल दिलाने के क्रम में बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था। वहीं पुरुष जूनियर हॉकी टीम के कप्तान उत्तम सिंह ने अपने खेल से दुनिया भर में अपनी चमक बिखेरी है।

1986 में हुई थी स्‍थापना

मेघबरन स्टेडियम (meghbaran sadium) की स्थापना तेज बहादुर सिंह उर्फ तेजू सिंह ने 1986 में की थी। उस समय वह बेहद कम संसाधनों के बीच इलाके और आसपास के बच्चों को अपने मार्गदर्शन में हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उस वक़्त सभी प्रशिक्षणरत बच्चों के पास हॉकी नहीं उपलब्ध थीं। ऐसे में बांस की हॉकीनुमा छड़ियों के जरिये ही तेजू सिंह युवाओं और बच्चों को हॉकी के गुण सिखाते थे।

इन दिनों भारतीय हॉकी टीम (जूनियर) की कमान उत्तम के हाथों सौंपी गई है। पिछले दिनों मलयेशिया में खेले गए सुल्तान जोहोर कप हॉकी चैंपियनशिप में भारत ने जीत दर्ज की थी। भारतीय टीम के कप्तान उत्तम सिंह की फील्ड स्ट्रेटेजी की बदौलत भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहद रोचक मैच 5-4 के स्कोर से जीत लिया था। उत्तम ने इस मैच में दो गोल कर अपने हॉकी के हुनर का लोहा मनवाया था।

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कई खिलाड़ी अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहुंचे

उत्तम सिंह से पहले भी इस स्टेडियम से जुड़े कई एक खिलाड़ी इंटरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं।अकादमी से ट्रेनिंग लिए मिड फील्डर अजित पांडेय, विनोद सिंह, राहुल राजभर जैसे युवा खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का परचम लहरा चुके हैं।अब तक इस अकेडमी से ट्रेनिंग लिए 300 से अधिक खिलाड़ी स्पोर्ट्स कोटे के जरिए अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन के दम पर नौकरी हासिल कर चुके हैं।

कोरोना की सेकंड वेब में तेजू सिंह इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कहकर चल बसे थे। उसके बाद स्टेडियम/अकादमी की देखरेख उनके छोटे भाई और गाजीपुर के समाजवादी पार्टी के सिंबल से सांसद रहे राधे मोहन सिंह के हाथ में आ गई। राधे मोहन सिंह ने बताया कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सौजन्य से 2007 से 2009 तक डे बोर्डिंग कोचिंग कैंप का निर्बाध संचालन एकेडमी में किया गया। उसके बाद अकादमी में 2015 में घास के मैदान की जगह अत्याधुनिक एस्ट्रोटर्फ फील्ड बनाई गई। टर्फ पर युवाओं की ट्रेनिंग इसलिए आवश्यक थी क्‍योंकि उस दौर में एस्ट्रोटर्फ पर ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले जाने शुरू हो गए थे।

पूर्वांचल में गिनी चुनी जगह ही एस्ट्रोटर्फ की सुविधा थी। ऐसे में मेघवरन स्टेडियम (meghbaran sadium) में एस्ट्रोटर्फ लगाकर युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानक के टूर्नामेंट के अनुसार प्रशिक्षित किया जाने लगा। फिलहाल स्टेडियम में 200 युवा ट्रेनिंग हासिल करते हैं। इन युवाओं में अलग-अलग उम्र के खिलाड़ी हैं। मेघबरन स्टेडियम की ट्रेनिंग दो सत्रों में रोजाना आयोजित की जाती है। सुबह के वक्त 6:00 से 9:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 5:00 तक कोच की देखरेख में युवाओं को हॉकी के गुण सिखाए जाते हैं। स्टेडियम के कोच इंद्रदेव यादव निरंतर बच्चों के साथ प्रेक्टिस सेशन के दौरान फील्ड में मौजूद रहते हैं और उन्हें हॉकी की बारीकियों से वाकिफ कराते रहते हैं।