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Motivational story: कभी पिता के साथ ठेले पर बेचता था फल, आज बन गया बड़ा बिजनेसमैन

Success Story

Motivational story: वो कहते है न किसी को भी सफलता यूं ही नहीं मिलती है। जीवन सफलता की बुलंदियों को छूने के लिए दिन-रात एक कर के मेहनत करनी पड़ती है। इस बीच बचपन से अभाव और संघर्ष का सामना करने वाले रांची के चंदन कुमार चौरसिया को शायद जीवन का यह मूल मंत्र समझ में आ गया था। इस वजह से उन्होंने पिता के काम को विस्तृत रूप देने का मन बना लिया था। चंदन को हमेशा इस बात का अफ़सोस रहता था कि उनके पिता ठेले पर घूम-घूम कर फल बेचने का काम करते हैं। हालांकि बचपन में कई बार ऐसा भी हुआ है जब खुद चंदन ने अपने पिता के साथ फल बेचने का काम किया। घर-परिवार चलाने के लिए उसने अपने पिता को संघर्ष करते देखा। अपने पिता के इस संघर्ष को अपनी सफलता का मूल मंत्र बनाते हुए चंदन ने ठान लिया कि वह एक दिन अपना खुद का दुकान खोल कर और लोगों को भी रोजगार से जोड़ेगा।

बैंक से कर्ज लेकर की नई शुरुआत

5 वर्षीय चंदन कुमार चौरसिया ने जब व्यवसाय के क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाया तब पैसे की तंगी थी। व्यवसाय को बड़ा करने के लिए चंदन ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में जानकारियां इकट्ठी की। सोशल मीडिया का सहारा लेकर चंदन ने मुद्रा योजना के बारे में काफी जानकारियां उठा ली थी। जिसके बाद सिर्फ पर उस पर अम्ल करने की। वहीं पहली बार लोन लेने के कारण चंदन को बैंक की ओर से 50 हजार रुपए लोन की राशि मिली। लोन की राशि का इस्तेमाल चंदन कुमार चौरसिया ने फल के व्यवसाय में लगा दिया।

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​व्यवसाय से हुई बढ़िया कमाई

किसी ने सच ही कहा है सच्ची लगन के साथ काम करने वालों का भगवान भी साथ देता है। दिन रात एक कर के चंदन ने फल व्यवसाय को गति देना शुरू किया और धीरे-धीरे व्यवसाय से अच्छी कमाई करना भी शुरू कर दिया। पैसे आने पर चंदन ने समझदारी का परिचय देते हुए सबसे पहले लोन की राशि का भुगतान किया और शेष बचे हुए पैसे को पुनः व्यापार में लगा दिया। समय पर लोन का भुगतान करने से बैंक अधिकारियों ने भी चंदन की जमकर सराहना की। वहीं दोबारा इतने पैसे मिलने से चंदन के हौसले और अधिक बुलंद हो गए। चंदन ने स्थानीय बाजार से हटकर दूसरे राज्यों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया। फिर देश की बड़ी मंडियों से फल लाकर रांची में बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे फल की मंडी में चंदन की पहचान बनने लगी।

​पिता के साथ भाई को भी व्यवसाय से जोड़ा

व्यवसाय बढ़ने के बाद चंदन ने सबसे पहले अपने बुजुर्ग पिता नवल कुमार चौरसिया का ध्यान रखा उसने अपने पिता को ठेला पर गली-गली घूम का फल बेचने के काम से हटाकर दुकान में बैठाने का निर्णय लिया। घर परिवार के प्रति जिम्मेवार चंदन ने छोटे भाई के बेरोजगारी के दर्द को भी समझा और अपने फल के व्यवसाय में उसे भी जोड़ लिया। पिता का साथ मिलने से चंदन कुमार के व्यवसाय ने दिन दूना रात चौगुना हो गया। अच्छी कमाई होने की वजह से चंदन ने सबसे पहले लोन की डेढ़ लाख रुपए की राशि का भुगतान बैंक में किया। समय पर दो लोन का भुगतान कर देने की वजह से बैंक ने चंदन को तीसरी लोन ऑफर किया और डेढ़ लाख रुपए की राशि चंदन के खाते में आ गई।