14 फरवरी 2019… ये वो दिन था, जब आत्मघाती हमलावर ने पुलवामा में विस्फोटक से लदी वैन सीधे सीआरपीएफ के काफिले के बीच ले जाकर उसमें विस्फोट कर दिया। इस को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच में पाया है कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लश्कर ए मुस्तफा (एलईएम) नाम का आतंकवादी संगठन बनाया था। इसकी योजना मौलाना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती उर्फ अब्दुल रऊफ की योजना थी।
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल रऊफ ने लश्कर-ए-मुस्तफा बनाया और हथियारों की तस्करी के नाम पर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को भर्ती किया। इसके बाद में उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया। आईएसआई जैश-ए-मोहम्मद को पूरा समर्थन दे रही थी और लश्कर-ए-मुस्तफा को पूरी तरह से नियंत्रित कर रही थी। यह सब अंतरराष्ट्रीय दबाव को हटाने के लिए ऐसा किया गया था। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा था। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह यह दिखाना चाहते थे कि हमले के पीछे एलईएम था और भारतीय इसी के लिए काम कर रहे थे।
यही कारण था कि उन्होंने यह नया संगठन बनाया और हथियारों की तस्करी के बहाने भारतीयों को भर्ती करना शुरू कर दिया। इसमें विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और जम्मू से लोगों को भर्ती किया गया था। उन्हें बिहार, पंजाब और हरियाणा के रास्ते जम्मू में हथियारों की तस्करी करने के का काम सौंपा गया था। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमले में शामिल अल्लाह मालिक उर्फ हसनैन एलईएम का नेतृत्व कर रहा था और वह मौलाना मसूद अजहर के सीधे संपर्क में था। आपको बता दें कि एनआईए ने लश्कर-ए-मुस्तफा (एलईएम) के चार आतंकियों मोहम्मद अरमान अली उर्फ अरमान मंसूरी, मोहम्मद अहसानुल्लाह उर्फ गुड्डू अंसारी, इमरान अहमद हाजम और इरफान अहमद डार के खिलाफ देश भर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया।