Hindi News

indianarrative

Noida Twin Tower: भ्रष्टाचार के टावर को गिराने में आखिर विस्फोट क्यों?

Noida Twin Tower Demolition

Noida Twin Tower: उत्तर प्रदेश के नोएडा में रविवार को ट्विन टावर (Noida Twin Tower) गिरा दिया जाएगा। छह महीनों से जारी कवायद। यह देश के रीयल इस्टेट सेक्टर और बायर्स के बीच की ऐसी लड़ाई थी, जिसमें आम लोग भी भावनात्मक रूप से जुड़ते चले गए। जैसे-जैसे भ्रष्टाचार के इस टावर की ऊंचाई बढ़ी, विवाद उतना बढ़ता गया और अंत में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इसमें नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का भ्रष्टाचार सामने आया। 70 करोड़ की लगात से बने नोएडा ट्विन टावर (Noida Twin Tower) को आज विस्फोट से उड़ा दिया जाएगा। करीब 3 साल में बनकर तैयार हुए इस टावर को महज 9 सेकेंड में 3700 किलोग्राम विस्फोटक जमींदोज कर देगा। इसे गिराने के लिए दो ही विकल्प थे, पहाल विस्फोटक जो कुछ सेकेंड में गिरा देगा या फिर इसे तोड़ा जाए जिसमें कम से कम दो साल तक का समय लगता।

यह भी पढ़ें- Nupur Sharma के बहाने क्या करने जा रहे हैं राज ठाकरे- देखें रिपोर्ट

भ्रष्टाचार के इस टावर की ऊंचाई करीब 100 मीटर जो कुतुब मीनार से भी ऊंची है। ट्विन टावर को गिराने का काम कर रहे एडफिस इंजीनियरिंग के अधिकारी ने कहा कि, इसे 28 अगस्त को ‘वाटर फॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से सुरक्षित तरीके से गिराया जाएगा। उन्होंने कहा कि, एपेक्स टावर (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) 15 सेकेंड से भी कम समय में ताश के पत्ते की तरह गिरा दिए जाएंगे। इसके साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आसपास की इमारतों को नुकसान न पहुंचे, जिसमें से एक इमारन सिर्फ नौ मीटर की दूरी पर स्थित है।

एडफिस के साझेदार उत्कर्ष मेहता ने को बताया कि वे 150 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि ट्विन टावर सुरक्षित और उनके द्वारा परिकल्पित दिशा में गिरा दिए जाएंगे। उन्होंने आसपास की इमारतों में रह रहे लोगों को आश्वस्त किया कि पेंट और प्लास्टर में मामूली दरार के अलावा उनके घरों को कोई नुकसान नहीं होगा। ट्विन टावर को गिराने के लिए विकल्प की बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा कि, उनके पास किसी भी ढांचे को गिराने के लिए तीन विकल्प होते हैं…… डायमंड कटर, रोबोटा का इस्तेमाल और इम्पोजन (ध्वस्त करना) है। उन्होंने कहा कि, इमारत को गिराने के तरीका तीन आधारों- लागत, समय और सुरक्षा पर चुना गया। डायमंड कटर तकनीक से इमारत को पूरी तरह से गिराने में करीब दो साल का समय लगता औऱ इसपर इम्प्लोजन तकनीक के मुकाबले पांच गुना लागत आती। इस तकनीक के तहत ऊपर से नीचे की ओर क्रेन की मदद से प्रत्येक खंभों, दीवारों और बीम को काट-काट कर अलग करना होता है।

यह भी पढ़ें- Noida Electronics Hub में चीनी जासूस! और कितने घुसपैठिए हैं नोएडा में!

रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल करने पर करीब डेढ़ से दो साल का समय लगता और इस दौरान भारी शोर होता जिसकी वजह स एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज में रहने वालों को पेरशानी होती। इस तरीके से इमारत गिराने पर डायमंड कटर के मुकाबले कम लेकिन ‘इम्प्लोजन’ के मुकाबले अधिक लागत आती। एडफिस के प्रमुख ने कहा कि चूंकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को वहां के निवासियों को बिना परेशान किए यथाशीघ्र गिराने का आदेश दिया था, इसलिए इम्प्लोजन तकनीक को इसके लिए चुना गया। उन्होंने कहा किस एडफिस और हमारे दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ साझेदार जेट डेमोलिशंस को पूर्व में केरल के कोच्चि स्थित मराडू कॉप्लेक्स को भी गिराने का अनुभव था, इसलिए भी हमने यह तकनीक चुनी।