केंद्र सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे संबंधित अन्य संगठनों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे पांच साल तक के लिए बैन कर दिया है। इस संबंध में 27 सितंबर को अधिसूचना जारी कर दी गई है। यानी 27 सितंबर 2022 से पांच वर्ष की अवधि तक पीएफआई पर प्रतिबंध जारी रहेगा। अधिसूचना के जरिये सरकार ने पीएफआई का काला चिट्ठा खोल दिया है। इसमें बताया गया है कि पीएफआई के अंतराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से किस तरह के संबंध है और यह प्रतिबंधित संगठन किस तरह का काम करता है। गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया कि जांच में पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों के बीच स्पष्ट संबंध स्थापित हुआ है।
पीएफआई से जुड़े किन संगठनों पर बैन
PFI के सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है। गृह मंत्रालय का कहना है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों, युवाओं, छात्रों और कमजोर वर्गों को टारगेट करने के लिए सहयोगी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना है। इ संगठनों में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑळ इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं।
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PFI के काले कारनामे
केंद्र सरकार ने PFI के काले कारनामों के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि यह आतंकी मामलों में सामिल रहा है और देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है और बाहरी स्रोतों से फंड प्राप्त करके देश की आंतरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहा है। इसके अलावा यह भी पात चला है कि PFI हिंसक और विध्वंसक कार्यों में शामिल है। केरल में एक क्रिस्चियन कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की नृशंस हत्याएं करना, अन्य धर्मों के प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सबूत मिले हैं।
सरकार ने बताया है कि कई लोगों की हत्या में भी PFI का हाथ रहा है। तमिनलनाडु के वी रामलिंगम, केरल के नंदू, कर्नाटक के आर रूद्रेश, प्रवीण पुजारी, तमिलनाडु के शशि कुमार और प्रवीण नेतारू हत्याकांड के पीछे भी PFI ही था। इसके अलावा PFI के सदस्य सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान जाकर आतंकवादी संगठनों में भी शामिल हुए हैं। इसके अलावा PFI हवाला और डोनेशन के माध्यम से भारत में कट्टरपंथ फैलाने के लिए धन जुटा रहा है।
आखिर क्या चाहता है PFI ?
बता दें कि, कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए ‘मिशन 2047’ पर काम कर रहा है। बिहार पुलिस ने इस साजिश का भंडाफोड़ किया है। PFI 2047 तक भारत को मुस्लिम मुल्क बनाने की साजिश रच रहा है और PFI ने इसके लिए बाकायदा चार स्टेज में योजना बना रखी है। बरामद दस्तावेज में यह खुलासा हुआ है, जिसमे कट्टरपंथ संगठन का स्पष्ट कहना है कि 75 वर्ष पूर्व एक इस्लामिक मुल्क (पाकिस्तान) भारत से अलग हुआ और जब 2047 में भारत आजादी के 100 वर्ष मनायेगा, तब तक भारत पूरी तरह इस्लामिक राष्ट्र में बदल जाएगा। पुलिस ने बताया कि डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि 10 फीसद मुसलमान ही मेजॉरटी को घुटनों पर बैठाने के लिए काफी हैं और यदि 10 फीसद मुसलमान PFI के साथ जुड़ जाएं, तो 2047 तक भारत को मुस्लिम मुल्क बनने से कोई रोक नहीं सकता।