प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध पूर्णिमा पर आज नेपाल जाएंगे जहां वो गौतम बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी का दौरा करेंगे। इस दौरान वो प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ बैठक करेंगे और बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बौध्य संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखने के लिए आयोजित समारोह में भा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दैरे को लेकर चीन में खलबली मची हुई है। शी जिनपिंग सरकार पूरी नजर गड़ाए बैठी है। वहीं, पीएम मोदी ने इस दौरे से एक दिन पहले ही कहा कि, दोनों देश जल विद्युत, विकास और संपर्क समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोह बढ़ाने के लिए बनी समझ को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि, नेपाल के साथ हमारे रिश्ते बेजोड़ हैं। दोनों देशों के बीच सभ्यता और लोगों से लोगों के संबंध हमारे करीबी रिश्तों की स्थायी इमारत पर खड़े हैं। उनके इस दौरे का मकसद समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंधों को और मजबूत करना है। इन रिश्तों को सदियों से पोषित किया गया और ये हमारे आपसी मेलजोल के लंबे इतिहास में दर्ज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व धरोहर लुंबिनी में बुद्ध जयंती कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस दौरान वह बौद्ध सर्किट साझेदारी और संपर्क की अहम परियोजनाओं का एलान कर सकते हैं। प्रस्तावित योजना के तहत भारत की मदद से कुशीनगर से लुंबिनी के बीच रेल लाइन बिछाई जानी है। साथ ही भारतीय बौद्ध स्थलों को सड़क मार्ग से कपिलवस्तु और लुंबिनी से जोड़ा जाना है। इन परियोजनाओं पर भारत और नेपाल के बीच बातचीत हो रही है। इसके साथ ही पीएम मोदी भगवान बुद्ध की जन्मभूमि लुंबिनी से विश्व को शांति का संदेश देंगे। इस मौके पर पीएम बौद्ध तीर्थस्थलों को रेल और सड़क मार्ग से जोड़ने की योजना का एलान कर सकते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री के नेपाल दौरे को दोनों देशों के संबंध को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी करीब चार साल बाद नेपाल के दौरे पर जा रहे हैं।
वहीं, नेपाली विदेश मंत्रालय के सूत्र की माने तो, इस दौरान दोनों देशों के बीच सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इससे शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध और गहरे होंगे। भारतीय शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक फाउंडेशन लुंबिनी बौद्धिस्ट यूनिवर्सिटी और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के साथ एक-एक व काठमांडो यूनिवर्सिटी संग तीन एमओयू करेगा। काठमांडो विवि और आईआईटी चेन्नई दो अन्य एमओयू करेंगे।