एक समय था जब जम्मू-कश्मीर में अमन और शांती हुआ करती थी। यहां मासूमों और बेगुनाहों की बेवजह जानें नहीं जाया करती थी। घाटी में इतना सुकून था कि एक घर में जब किसी को दर्द होता तो उसकी आवाजों पूरी घाटी में पहुंच जाती थी। लेकिन एक वो भी दौर आया जब घाटी में खून की नदियां बहने लगीं, बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा जाने लगा। पूरी घाटी में कश्मीरी पंडितों के खून से रंग दी गई। पाकिस्तान ने यहां जिहाद को लाकर खड़ा कर दिया है और रातों रात घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकला दिया गया। अब घाटी कश्मीरी पंडितों की नहीं बल्कि जिहादियों की हो गई जहां वो जब चाहे तब बेगुनाओं को मौत के घाट उतार देते, माताओं बहनों का रेप कर देते। आतंक अपने चरम पर पहुंच गया आए दिन सेनाओं के काफिले से लेकर पुलिस पर हमले होने लगे। हिंदी सिनेमा अभिनेता अनुपम खेर भी कश्मीरी पंडित हैं और उन्होंने भी आतंक वो काली रात देखी है जब उन्हें अपना सबकुछ छोड़कर जाना पड़ा। अनुपम खेर की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज हो चुकी है और इसी फिल्म में कश्मीरी पंडितों के दर्द और घाटी में आतंक पनपने की कहानी बताई गई है। इस फिल्म पर इस वक्त जमकर राजनीति की जा रही है। खासकर कट्टरपंथियों में तो आग लग गई है। अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला ने अपना बयान दिया है।
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स के रिलीज के बाद कश्मीर घाटी से हिंदुओं के नपसंहार और पलायन का मुद्दा चर्चा में है। इसके लिए एक वर्ग जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को भी दोषी ठहरा रहा है। जिसके बाद वो बौखला उठे हैं। अपने एक बयान में उन्होंने कहा है कि, यदि उन्हें 1990 में हुए नरसंहार का दोषी पाया जाता है तो फिर देश में कहीं भी फांसी पर लटका दिया जाए, वह इसके लिए तैयार हैं। इंडिया टुडे टीवी चैनल से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा, 'सत्य बाहर आ जाएगा, यदि आप इसकी जांच के लिए किसी ईमानदार जज को नियुक्त करें और कमेटी बनाएं। आप जान जाएंगे कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था।
यही नहीं उन्होंने कहा, 'यदि फारूक अब्दुल्ला दोषी पाया जाता है तो फिर वह देश में कहीं भी फांसी पर लटकने के लिए तैयार है। मैं इस ट्रायल के लिए तैयार हूं, लेकिन उन लोगों को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए, जिसका इससे लेना-देना नहीं रहा।' कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को लेकर अब्दुल्ला ने कहा, मैं नहीं मानता कि इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं। यदि लोग इस बारे में कड़वा सच जानना चाहते हैं तो फिर उन्हें उस दौर के आईबी चीफ से बात करनी होगी। इसके अलावा केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान से भी जानकारी ले सकते हैं, जो उस दौर में केंद्र सरकार में मिनिस्टर थे।
इसके आगे बौखलाए फारूक अब्दुल्ला ने द कश्मीर फाइल्स को एक प्रोपेगेंडा मूवी बताया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'यह प्रोपेगेंडा मूवी है। इसने उस ट्रेजडी का एक ही पक्ष दिखाया है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम सभी लोगों को झेलना पड़ा था। उस घटना पर आज भी मेरा दिल रोता है। राजनीतिक दलों के कुछ तत्व ऐसे थे, जो जातीय नरसंहार में यकीन करते थे।
इस फिल्म के बाद जब कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का मामला फिर से उठा तो घाटी के साथ देश के कट्टरपंथी बौखला उठे। उन्हें इस बात कर डर सता रहा है कि कई एक-एक कर उनका सच सामने न आ जाए और उन्हेंन काल कोठरी यानी जेल में जाने का डर सता रहा है। पूरी घेटी को कश्मीरी पंडितों से छीन के आज जेहाद को बैठाया गया है और ये कट्टरपंथी उस दौरान जेहाद के साथ थे। कश्मीरी पंडितों के साथ रहे होते तो आज घाटी का यह हाल नहीं रहता।