'10जून 2022 दिन शुक्रवार को देश भर में फैलाई नफरत और हिंसा के पीथे बीजेपी से दण्डित नूपुर शर्मा की कथित टिप्पणी तो सिर्फ कहानी है। असली वजह से कतर से आए करोड़ों डॉलर हैं। जो शैल कंपनियों के जरिए भारत में भेजे गए। मस्जिदों की रिपेयर और पानी के पंप (सबील) लगाने के लिए बांटे गए। लेकिन उनका इस्तेमाल इंडिया के मुसलमानों को कट्टर मुसलमान बनाने के लिए। भारत में कट्टरपन यानी रेडिकलाजेशन की फैक्ट्रियां साउथ से लेकर उत्तर और पूर्व से लेकर पश्चिम तक फैली हुई हैं।'
नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को बीजेपी सजा दे चुकी है। नवीन जिंदल दिल्ली से पलायन कर चुके हैं, लेकिन पैगंबर मुहम्मद पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर शुरू हुआ विवाद थम नही रहा है। इसकी वजह अब खुलकर सामने आने लगी है। भारतीय एजेंसियों को एक ऐसी रिपोर्ट मिली है जिसमें जिक्र किया गया है कि कतर से करोड़ों डॉलर सिर्फ भारत में इस्लामी कट्टरपंथ और अतिवाद को फैलान के लिए भेजे गए हैं। ये डॉलर शैल कम्पनियों के नाम से आए और मस्जिदों-मदरसों में भारत के खिलाफ आतंक फैलान के लिए बांटे गए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी भी कतर के साथ मिली हुई है। पॉलिसी रिसर्च ग्रुप की यह रिपोर्ट लंदन के प्रख्यात लेखक जेम्स डगलस क्रिक्टन ने तैयार की है।
दुनिया में कतर और पाकिस्तान ऐसे देश हैं जहां आतंक और आतंकियों को सबसे ज्यादा प्रश्रय दिया जाता है। कतर पर पॉलिसी रिसर्च ग्रुप का कहना है कि कतर के सांप्रदायिक और आतंकी गिरोह बहुत ही ऑर्गेनाइज्ड तरीके से भारत के कट्टर इस्लामी स्कूलों और शख्सियतों को मोटी रकम दे रहे हैं। इनका मकसद भारत में मुसलमानों को भड़काना सांप्रदायिक दंगों को लम्बे समय तक खींचना है।
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पालिसी रिसर्च ग्रुप के जेम्स डगलस का कहना है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के मकसद से कई देशों में मस्जिद, मदरसों के निर्माण व मुस्लिमों को शिक्षा-रोजगार के समान अवसर की आड़ में करोड़ों डॉलर दे रहे हैं।भारत सहित दुनिया में रेडिकल इस्लाम को बढ़ाने के पीछे 'शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी' का बड़ा हाथ है। ईद चैरिटी के नाम से मशहूर इस संगठन के संस्थापक सदस्य, अब्द अल-रहमान अल-नुअयमी को अमेरिका ने 2013में वैश्विक आतंकी घोषित किया था। उसने पर सीरिया, यमन, इराक व सोमालिया में अल कायदा व सहयोगी गुटों को भारी मात्रा में पैसे दिए थे। इन पैसों से आतंकियों ने हथियार खरीदे और तबाही मचाई।
पालिसी रिसर्च ग्रुप का दावा है, कतर से सीधे बड़ी फंडिंग लेने वाले आतंकी गिरोह अलकायदा, इस्लामिक स्टेट और पाकिस्तान में पल रहे आतंकी गिरोह हैं। आतंकी गिरोह से छोटे गिरोहों और व्यक्तिगत स्तर तक पैसा और हथियार मुहैया कराते हैं। अब तो इन लोगों ने सोशल मीडिया की एक लंबी चौड़ी फौज बना ली है। इनके कुछ गुर्गे भारत की सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में भी घुसपैठ कर चुके हैं। सियासी दलों में भी इनकी घुसपैठ है। कतर में बैठे आतंकी गिरोह शैल कंपनियों की आड़ में भारी मात्रा में पैसे पहुंचा रहे हैं।
इसके अलावा ‘ईद चैरिटी’के नाम का एक दस्तावेज भी भारत की एजेंसियों के हाथ लगा है। इस डॉक्युमेंट में केरल समेत सलाफी मुसलमानों के आठ बड़े गिरोहों (संगठनो) को मदरसे, मस्जिद बनाने, मरम्मत कराने और सबील लगाने के बहाने करोड़ों डॉलर भेजे गए हैं। जिन पैसों का इस्तेमाल भारत में कट्टरपंथ और आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है।