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भारत की विदेश नीति को नया आकार देते PM Modi : पाक की खुली पोल ; जम्मू-कश्मीर में ऊहा-पोह की स्थिति ख़त्म

राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिए गए साहसिक फ़ैसलों और आतंकवाद को ख़त्म करने के अपने संकल्प पर अडिग भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ वर्षों के शासन के दौरान देश की विदेश नीति को फिर से परिभाषित किया है।

70 साल तक केंद्र की कोई भी सरकार अनुच्छेद 370 पर फ़ैसला नहीं ले सकी। संविधान में यह एक एक अस्थायी प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के कथित विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और साहस का प्रदर्शन किया, ताकि भारत के संघ के साथ हिमालयी क्षेत्र के पूर्ण एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हो सके।

इस क़दम से स्थिरता फिर से स्थापित हुई और पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के प्रभाव पर अंकुश लगा, जिसने जम्मू-कश्मीर को 30-लंबे वर्षों तक प्रभावित किया था।

अनुच्छेद 370 को समाप्त करके केंद्र ने उस कमज़ोरी पर पार पा लिया, जिसका पाकिस्तान ने वर्षों तक शोषण किया और भारत के इस क़दम ने आतंकवाद को अवैध बना दिया।

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान ने भारत के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ समर्थन जुटाने में कोई कोर क़सर नहीं छोड़ी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के इन नखरों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

दुनिया भर के कई देशों ने इस मुद्दे पर भारत के दृष्टिकोण को समझा है और इतने वर्षों तक आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए पाकिस्तान की निंदा की है।

 

आतंकवाद को एक तरफ़ नहीं रखा जा सकता

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा और वह अपनी पड़ोस पहले की नीति के तहत इस्लामाबाद के साथ संबंध सुधारने के लिए आतंकवाद को अलग नहीं रख सकती है।

पाकिस्तान को साफ़ शब्दों में कह दिया गया है कि अगर वह संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है, तो उसे आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और अलगाववादियों को पर्दे के बाहर धकेल दिया गया है। पाकिस्तान का घिनौना चेहरा दुनिया के सामने आ गया है।

धारा 370 के निरस्त किये जाने से भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण जीत दर्ज हुई है।

विशेष रूप से 1990 में जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित विद्रोह के फैलने के बाद पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 को भारत पर निशाना साधने के लिए एक जोखिम भरे बिंदु के रूप में देखा है।

इसने इस प्रावधान का उपयोग अलगाववादी भावनाओं को हवा देने और इस क्षेत्र में अराजकता और अनिश्चितता पैदा करने के लिए आतंकवाद का समर्थन किया है ।

धारा 370 को रद्द करने से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और उसके पिट्ठुओं द्वारा प्रचारित झूठी कहानियों की हवा निकल गयी है। इस क़दम ने आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करने में पाकिस्तान की भागीदारी को बेपर्द कर दिया है। विशेष दर्जे को समाप्त करके भारत ने पाकिस्तान के निराधार दावों को चुनौती दे दी है और उनका खंडन कर दिया है।

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू और कश्मीर ने न केवल विकासात्मक पहलों को देखा है, बल्कि वैश्वीकरण के उन लाभों को भी देखा है, जो बाक़ी देश अनुभव करते हैं। इस एकीकरण ने जम्मू और कश्मीर के लोगों को लाभान्वित करते हुए आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए नए अवसर प्रदान किए हैं।

 

पाक का असली चेहरा बेपर्द

दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर कर भारत ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल किया है। सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण ने अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की तलाश करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने के भारत के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया है।

अनुच्छेद 370 के उन प्रावधानों को समाप्त करके, जिनका पाकिस्तान ने फ़ायदा उठाया था, भारत ने सीमा पार आतंकवाद को करारा झटका दे दिया है और इस वैश्विक ख़तरे से निपटने के महत्व पर ज़ोर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समर्थन और जम्मू-कश्मीर में विकास और वैश्वीकरण के लाभों ने नई दिल्ली द्वारा लिए गए निर्णय के महत्व को मान्य ठहरा दिया है।

तीन दशकों से अधिक समय से पाकिस्तान कश्मीर के अशांत क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल रहा है और अनिश्चितता और अराजकता की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाता रहा है। अपने छद्म युद्ध के माध्यम से पाकिस्तान ने हिंसा को बढ़ावा देने, आतंकवादियों को हथियार, गोला-बारूद और प्रशिक्षण प्रदान करने, स्थानीय युवाओं को अपने गिरोहों में शामिल होने के लिए लुभाने और अलगाववादियों और पथराव करने वालों को धन देने के लिए हवाला चैनलों का उपयोग करने में एक केंद्रीय भूमिका निभायी है।

पाकिस्तान के इस सुविचारित हस्तक्षेप ने जम्मू और कश्मीर (J&K) के लोगों को अत्यधिक कष्ट पहुंचाया, जिससे वे लगातार ख़तरे और डराने-धमकाने की स्थिति में रहने को मजबूर हो गए।

कश्मीर में राज्य की नीति के एक साधन के रूप में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का उपयोग कोई रहस्य नहीं है। इसके द्वारा प्रायोजित आतंकी समूहों ने निर्दोष नागरिकों, सुरक्षा बलों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया।

पाकिस्तान ने लगातार नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ को बढ़ावा दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के प्रवेश में आसानी हुई। इसके परिणामस्वरूप हिंसा का एक दुष्चक्र बन गया, जिससे अनगिनत लोगों की जानें चली गयीं और व्यापक विनाश हुआ।

पाकिस्तान ने व्यवस्थित रूप से युवा दिमाग़ों को प्रेरित किया और उन्हें अपने छद्म युद्ध में तोप चारे के रूप में इस्तेमाल किया।

पाकिस्तान ने ग़लत सूचनाओं, प्रचार और तथाकथित ‘आज़ादी’ के वादों के मेल से कश्मीरी युवाओं को गुमराह किया और उन्हें क़ब्रिस्तानों की ओर धकेल दिया।

हवाला चैनलों और अन्य गुप्त साधनों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान ने इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में धन को पानी की तरह बहाया, जिससे अलगाववादियों को अपने प्रचार और गतिविधियों को बनाये रखने में मदद मिली। इसने अशांति और सार्वजनिक अव्यवस्था का माहौल बनाकर ज़मीनी स्तर पर अस्थिर स्थिति को और बढ़ा दिया।

 

हर तरफ़ पाक की हरक़तों की निंदा

धारा 370 को ख़त्म करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जय शंकर, अन्य नेताओं और अधिकारियों ने पाकिस्तान को हर मंच पर बेनकाब किया है।

इन्होंने भारत के इस दुष्ट पड़ोसी की हरक़तों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने ला दिया है। उनकी कड़ी मेहनत का लाभ भी मिला है, क्योंकि अब पाकिस्तान की हरक़तों की व्यापक निंदा होने लगी है।

संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न देशों ने बार-बार पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और इस क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए भारत के साथ सार्थक बातचीत में शामिल होने का आह्वान किया है।

पाकिस्तान द्वारा दीर्घकालीन संघर्ष को जीवित रखे जाने से दक्षिण एशिया में आर्थिक सहयोग की संभावनाओं में बाधा उत्पन्न हुई है।

 

श्रीनगर में G-20 का आयोजन पाक की बड़ी हार

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में हाल ही में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर एक बड़ी हार साबित हुआ है। चीन और तुर्की को छोड़कर किसी भी प्रतिभागी देश ने भारत के पड़ोसी द्वारा शुरू किए गए दुष्प्रचार पर कोई ध्यान नहीं दिया।

प्रतिनिधियों ने इस हिमालयी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की और भारत की G-20 की अध्यक्षता को पूर्ण समर्थन दिया।

संक्षेप में कहा जाए,तो पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पाकिस्तान को सभी मोर्चों पर पराजित कर दिया है। तीन दशकों तक चले छद्म युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अपने आख़िरी पड़ाव पर है और जो लोग पाकिस्तान के मक़सदों का प्रचार करते थे, उनकी मौजूदी अब वहां नहीं है।

जम्मू-कश्मीर अब संघर्ष का क्षेत्र नहीं रहा। पिछले तीन वर्षों के दौरान इसका पुनर्निर्माण किया गया है और इस क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से पता लगाया गया है।

सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि 5 अगस्त, 2019 से लाखों पर्यटकों ने इस क्षेत्र का दौरा किया है। एक आम आदमी ने राहत की सांस ली है और केंद्र द्वारा लिए गए सभी फ़ैसलों का चुपचाप समर्थन किया है।

न केवल विदेश नीति को नए सिरे से परिभाषित किया गया है, बल्कि पीएम मोदी और उनके भरोसेमंद सिपहसालार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया है।