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Mohan Bhagwat ने क्यों कहा-जनसंख्या संतुलन जरूरी, एक वर्ग की आबादी बढ़ने के गिनाए खतरे!

Mohan Bhagwat Dussehra Speech: दशहरा के मौके पर RSS में शस्त्र पूजन की परंपरा है। इस परंपरा के तहत एक विशाल कार्यक्रम किया जाता है। इस साल कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर यानी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला संतोष यादव हैं। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में दशहरा कार्यक्रम के दौरान कहा कि शक्ति शांति का आधार है। इसके अलावा उन्होंने जनसंख्या असंतुलन से लेकर नई शिक्षा नीति तक कई विषयों पर खुलकर बात की।

बता दें, ये पहला मौका है जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने दशहरा कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया है। संतोष यादव ने सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ पूजा-अर्चना की। अब सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में परंपरागत शस्त्र पूजा की है। सरसंघचालक ने अपने संबोधन में कहा कि हम कौन हैं, हमारी आत्मा क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। अगर हमें यह जानकारी होगी तो हमें प्रगति का रास्ता साफ-साफ दिखेगा। भागवत ने अपने संबोधन में और क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं…

विजयादशमी उत्सव के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने आबादी के मुद्दे पर कहा कि जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर इसका संतुलन भी जरूरी है, इसकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इसी संतुलन बिगड़ने के कारण इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नए देश बन गए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति गंभीर मंथन के बाद तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए। शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है।

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भागवत बोले: सबको सम्मान का भाव रखना होगा

मंदिर, पानी, श्मसान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं। कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तो बीमारी के बाद होता है।

संस्कार सिर्फ स्कूल-कॉलेजों से नहीं बन सकते: RSS प्रमुख

सामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं। केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं। केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है। नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है। ऐसा नहीं है।

हमारे बीच दूरियां बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहते हैं जिससे देश में आतंक का वातावरण बने। किसी को कोई डर न रहे, अनुशासन न रहे, ऐसा प्रयास हमेशा चलते रहते हैं। हम उनको पैठ दें, इसलिए वो हमसे नजदीकी जताते हैं। जाति, पंथ, संप्रदाय के नाम पर वो हमारे हमदर्द बनके आते हैं जबकि उनका अपना हित होता है। वो अपने हितों के लिए देश-समाज के विरोधी बन जाते हैं। भागवत ने गैर-कानूनी घोषित किए गए इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर हुई कार्रवाइयों की तरफ इशारा किया। उन्होंने सचेत किया, ‘जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं।

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हमेशा होता रहा है RSS में महिलाओं का सम्मान: भागवत

आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है। अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली। वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी। उन्होंने कहा, ‘जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी।

आईएन ब्यूरो

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