सज्जादा नशीन कॉन्फ्रेंस का एक फायदा यह हुआ है कि आस्तीन के सांप बाहर निकल कर आ गए हैं। आस्तीन के सांप एक मुहावरा है। सज्जादा नशीन कॉन्फ्रेंस दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित हुई थी। एनएसए अजित डोभाल इस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे। किसी कार्यक्रम में एनएसए का शामिल होने का बहुत गहरा मतलब होता है। सज्जादा नशीन कांफ्रेंस की धमक विदेशों तक सुनाई दी थी। खास तौर से उन देशों में जहां भारत के खिलाफ माहौल पैदा किया गया था। पाकिस्तान की तो हवाईयां ही उड़ गई थीं। अजित डोभाल को सज्जादानशीन कांफ्रेंस में देख कर पाकिस्तान की हालत यह थी जो कठमुल्ले उस दिन से पहले गली-गली कूचों-कूचों में हिंदुस्तान में फिसबुल जिहाद का नारा लगा रहे थे। गजवा ए हिंद के नारे बुलंद कर रहे थे वो सब गली के कुत्तों की तरह दुम दबा कर कहां छुप गए, पता नहीं चला। ये हालात तब थे जब कान्फ्रेंस दिल्ली में हुई और असर पाकिस्तान और कतर में हो रहा था।
इसगंगा-जमुनी तहजीब वाले समाज में कुछ संपोले नहीं कुछ कालिया नाग भी हैं। जो पीएफआई का सपोर्ट करने के लिए उतर आए हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह पत्थरबाजों के भटके हुए नौजवान कहा जाता था उसी तरह पीएफआई को दीनी तंजीम और पीएफआई के आतंकी सरीखे गुर्गों को ‘नादान नौजवानों’का दर्जा दे रहे हैं। आरएसएस से पीएफआई की तुलना कर रहे हैं। ऐसे लोग कह रहे हैं कि पीएफआई के एक-दो लोगों ने कुछ गलत किया है और अगर उनके खिलाफ सबूत हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करो। पूरी पीएफआई को बैन कैसे कर सकते हैं। ऐसे कालियानागों ने तो यहां तक कह दिया कि सज्जादानशीन कॉन्फ्रेंस में पीएफआई को बैन करने का प्रस्ताव उनके सामने लाया ही नहीं गया। यह तो बाद में कहा गया कि सज्जादानशीन कांफ्रेंस में पीएफआई को बैन करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है।
आप लोगों को याद हो तो यह उन्हीं कालियानाग में से किसी एक ने 2014 में पांच लाख हिंदुस्तानी सुन्नी मुसलमान युवकों सऊदी सल्तनत की सेवा में भेजने और ग्लोबल इस्लामिक आर्मी बनाने का ऑफर दिया था। इस आर्मी का मकसद शियाओं पर हमले करने और खलाफत मूवमेंट की तरह दुनियाभर के सुन्नी मुसलमानों की मदद करना था। इस संपोले पर यह भी आरोप लगा था कि इसने आईएसआईएस चीफ बगदादी को भी खत लिखा था। यह आरोप सही है या नहीं लेकिन सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा थी उसकी।
हालांकि आले सऊद ने इस कालिया नाग (हनफी) मौलाना के ऑफर को कौड़ी भर भाव नहीं दिया, और ये अपना सा मुंह लेकर गया। फिर इसने इमाम-ए-काबा के बारे में कुछ कहा। कहा कि हज बंद कर दो। फलां के पीछे नमाज मत पढना। बगैरा-बगैरा। मतलब जहां दूध न मिले वहीं जहर उगलना शुरू।
अभी जिक्र कॉंस्टिट्यूशन क्लब दिल्ली में हुई सज्जादानशीन कांफ्रेंस का चल रहा है तो इसमें सलमान नदवी उर्फ सैयद सलमान नदवी उर्फ सलमान हुसैन नदवी भी शामिल हुए थे। कन्फ्यूजन तो यह है कि यह एक ही आदमी है या तीन अलग-अलग लेकिन गूगल पर नाम कोई भी डालो एक ही जैसी फोटो आती है। बहरहाल, कहा जा रहा है कि
As expected: #SalmanNadwi flips his opinion about #PFI, and compares it with #RSS. He says that he wasn’t aware about the demand for banning the org. beforehand. He also says that banning PFI isn’t a good idea. These #MuslimBrotherhood preachers are experts in changing colors. pic.twitter.com/UAoRemVhCL
— Zahack Tanvir – محمد تانفير (@zahacktanvir) August 2, 2022
'कॉन्स्टिट्यूशन क्लब' में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल की कॉन्फ्रेंस में जो प्रस्ताव पारित हुआ था उससे नाम निहाद सलमान नदवी पलट गए हैं। सलमान नदवी ने बाकयदा एक वीडियो बनाया और जारी किया है। इस वीडियो में सलमान नदवी ने कहा है कि जिस कार्यक्रम उन्होंने (सलमान नदवी ने) में शिरकत की उसके बारे में उन्हें नहींलपता कि पीएफआई पर बैन लगाने की बात हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी संगठन के किसी एक व्यक्ति के गलत काम की वजह से पूरे संगठन को तो बैन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पीएफआई है, तबलीगी जमात है, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन हैं। इसमें कोई एक व्यक्ति गलत काम करता है तो पूरे संगठन को तो आप बैन नहीं कर सकते हैं। किसी एक व्यक्ति के अपराध के लिए पूरे संगठन को बैन करना तो ठीक नहीं।
ध्यान रहे, इस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली मे संस्था के फाउंडर हजरत सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा था कि सर तन से जुदा स्लोगन एंटी इस्लामिक है। यह तालिबानी सोच है, इसका मुकाबला करने के लिए बंद कमरों की जगह खुले में आकर लड़ाई की जरूरत है। कॉन्फ्रेंस में मौजूद सभी मुस्लिम अलम्बरदारों ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों और ऐसे अन्य मोर्चों पर प्रतिबंध लगाने का एक प्रस्ताव भी पारित किया था।
हम जो समझे उसके मुताबिक एनएसए अजित डोभाल ने कॉंस्टिट्यूशन क्लब की कॉन्फ्रेंस में अपील ही नहीं की बल्कि संपोलो-कालियानागों को अल्टीमेटम भी दिया था। उनके शब्दों का आश्य यह था एसी कमरों से बाहर निकलो और सिर तन से जुदा करने वाला नारा देने वालों को दफा करो। इसके अलावा टीवी चैनलों पर जो गुडी-गुडी बाइट देते हो वही तकरीरो में भी बयान करो। टीवी कैमरों के समाने बाबा साहेब के संविधान की बातें और जलसा-जमात में शरिया और इस्लामी कानून की रोशनी में चलने की तकरीरें नहीं चलेंगी। तिरंगा उठाकर तिरंगे के अपमान की हरकतें अब बर्दाश्त नहीं होंगी। कतर से लेकर कानपुर और लखनऊ से लेकर लेबनान तक आपकी और आपके बाप-दादाओं की पूरी कुण्डली उसके पास मौजूद है। वो जानता है आस्तीन में सांप है, घर के हो इसलिए खुला छोड़ रखा है फनफनाओगे तो क्या हो सकता है जानते हो न!
संपोलो-कालियानागों ‘वो’जिसके आगे चीन-पाकिस्तान ही नहीं अमेरिका भी पानी भरता है, ‘उसका’माथा ठनक गया न तो तुम्हारा क्या हाल होगा? मौलाना साद कांधलवी को जानते हो न, कहां है वो आजकल? क्या हस्र हुआ उसका? कन्वर्टेड हो बुखारे की पैदाइश नहीं है तुम्हारी। हिंदुस्तानी हो, दिल से दीमाग से हिंदुस्तानी रहो। उम्मत के ठेकेदार मत बनो। जब पैदा हुए थे तो उम्मत शादियाने बजाने नहीं आई थी। मरने पर हिंदुस्तान की मिट्टी में कब्र मिलेगी, ताबूत में कोई उम्मती साथ नहीं जाएगा!