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Uniform Civil Code की बहस के बीच सऊदी अरब के एक उदार नेता का भारत दौरा

सऊदी अरब के पूर्व क़ानून मंत्री और दुनिया भर में उदारवादी इस्लाम की आवाज़ मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईस्सा

अंग्रेज़ी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से ख़बर देते हुए लिखा है कि सऊदी अरब के पूर्व क़ानून मंत्री और दुनिया भर में उदारवादी इस्लाम की आवाज़ माने जाने वाले मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईशा अगले हफ़्ते भारत के दौरे पर आने वाले हैं।

अख़बार के मुताबिक़,अब्दुलकरीम अल-ईशा भारत दौरे के दरम्यान  विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाक़ात करेंगे।इस बात की भी संभावना है कि उनकी मुलाक़ात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी होगी।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, 10 जुलाई को अल-ईशा अजित डोभाल से मिलेंगे और दिल्ली के खुसरो फ़ाउंडेशन के मंच से धर्मगुरुओं, अलग-अलग समुदाय के नेतृत्व और विद्वानों के  सामने अपने विचारों को रखेंगे।

अल-ईस्सा के इस भारत दौरे को इसलिए ज़्यादा अहमियत मिल रही है,क्योंकि उनका यह दौरा उस समय हो रहा है,जब भारत में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के लाये जाने पर चर्चा ज़ोरों पर है।

 

कौन हैं मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईस्सा

उल्लेखनीय है कि अल-ईस्सा मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव हैं।इस संगठन पर सऊदी अरब का वर्चस्व है और इसका प्रभाव दुनिया के भर के मुस्लिमानों पर है।

सऊदी अरब में सुधारों को लागू करने के पीछे माना जाता है कि अल-ईस्सा के नेतृत्व की ताक़त है।इन्होंने सऊदी में जिन उदार क़ानूनों को लागू  करवाया था,उनमें  पारिवारिक मामले, मानवाधिकार से जुड़े मामलों और महिलाओं के अधिकार से जुड़े मामले शामिल हैं।

अल-ईस्सा ने दुनिया भर के अलग-अलग समुदायों, संप्रदायों और देशों के बीच के रिश्तों को मज़बूत करने के लिए एक अभियान चलाया हुआ है। उनका नज़रिया अत्यधिक उदारवादी और सुधार को आगे बढ़ाने वाला है।वह धार्मिक मुद्दों पर बेहद उदार हैं और महिलाओं के हक़ के ज़बरदस्त समर्थक हैं।

अल-ईस्सा की हमेशा से यह कोशिश रही है कि इस्लाम का चेहरा उदार हो  अलग-अलग सभ्यताओं के बीच संवाद को बढ़ावा मिले, धर्मों के गुरुओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान हो,और अहिंसा तथा धार्मिक बहुलता को हर समाज में जगह मिले।

माना जा रहा है कि अल ईस्सा जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ अदा करेंगे और दर्शन के लिए अक्षरधाम मंदिर भी जायेंगे। वह ताजमहल देखने आगरा भी जायेंगे।

इस्लाम का उदार चेहरा

2020 में नाज़ियों के यातना कैंपों की मुक्ति का 75 साल पूरा हुआ  था।इस मौक़े पर अल-ईस्सा एक शिष्टमंडल के साथ पोलैंड के दौरे पर गये थे।

जिन यहूदियों से इस्लामिक देशों को चिढ़ है,अल-ईस्सा ने लंदन में मार्च में आयोजित पहले यूरोपियन कॉन्फ्रेंस में  यहूदी समुदायों को भी बुलाया गया था। उनके मुताबिक़, ‘इस्लाम को एक ऐसा धर्म है, जो मुसलमान या ग़ैर-मुसलमानों पर विचार किये बिना हर किसी से प्यार करता है।’’

उनके नेतृत्व चलने वाला संगठन मुस्लिम वर्ल्ड लीग की मान्यता है कि सच्चा इस्लाम तो सहिष्णु है।इसमें हिंसा की कोई गुंज़ाइश नहीं है। पिछले साल मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था, उस हमले की आलोचना करते हुए कहा था कि यह एक अपराध है, और इस्लाम में इसकी जगह नहीं है।

ग़ौरतलब है कि  मोदी सरकार की तरफ़ से समान नागरिक संहिता लागू करने की ज़बरदस्त कोशिश चल रही है और इसके विरोध में कई मुस्लिम संगठन खड़े हो गये हैं।लेकिन,भारत सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने से पीछे हटती नहीं दिखायी दे रही है। ऐसे में अल-ईस्सा के भारत दौरे के बहुत मायने हैं और माना जाना चाहिए कि आगे आने वाले दिनों में अल-ईस्सा के दौरे से मुसलमानों का उदारवादी और प्रभावशाली तबका इस संहिता का समर्थन करने के लिए आगे आये और यहां से भारत में इस्लाम का नया चेहरा दिखायी दे,जहां मुसलमानों की राह में कट्टरता का अंधेरा नहीं,बल्कि उदारता की रौशनी खिले।