एनडीए की मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट में एक और बड़ी जीत हासिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने 250 से ज्यादा याचिकाओं को रद्द करते हुए पीएमएलए एक्ट को बरकरार रखा है। मतलब यह कि ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉंडरिंग एक्ट में कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉंडरिंग एक्ट) की किसी भी तरह के संशोधन या रोक लगाने से साफ-साफ इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सोनिया गांधी-राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी नेताओं को बहुत बड़ा झटका लगा है। पीएमएलए पर रोक लगाने या संशोधन करने के लिए कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख एवं अन्य की तरफ लगभग 250 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है। यानी शीर्ष अदालत ने ईडी के गिरफ्तारी के अधिकारी को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ECIR जिसे एक तरह से एफआईआर की कॉपी माना जाता है। कोर्ट ने कहा कि इस कॉपी को आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के समय कारण बता देना ही ईडी के लिए पर्याप्त होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 50 के तहत बयान लेने और आरोपी को बुलाने की शक्ति का अधिकार भी सही है। सुप्रीम कोर्ट में 242 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। सेक्शन 5, सेक्शन 18, सेक्शन 19, सेक्शन 24 और सेक्शन 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही है। सुप्रीम कोर्ट ने इन 5 धाराओं को सही ठहराया है।
इससे पहले याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि एजेंसियां पुलिस शक्तियों का प्रयोग करती हैं, इसलिए उन्हें जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे कई वरिष्ठ वकीलों ने अपना पक्ष रखा है। सख्त जमानत की शर्त, गिरफ्तारी के मामले में गैर-रिपोर्ट, बिना ईसीआईआर के गिरफ्तारी, इस कानूनसे के कई पहलुओं की आलोचना की जा रही है। चूंकि ईडी एक पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिए गए बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है, जो आरोपी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है।