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श्रद्धा का जिहादी कत्ल! ‘धर्मांतरण देश की सुरक्षा को खतरा’ किसने कहा- यहां देखें

दिल्ली में श्रद्धा का जिहादी कत्ल

‘धर्मांतरण’ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है, यह हम नहीं कह रहे भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। हम यह भी नहीं कह रहे कि श्रद्धा (Shraddha) जैसी लड़कियों के कत्ल से ‘देश की सुरक्षा’ को खतरा पैदा हो सकता है। लेकिन श्रद्धा (Shraddha) की हत्या तो जिहादियों की तरह ही की गई है। बहरहाल श्रद्धा का कत्ल लव जिहाद हो सकता है नही! इस मुद्दे पर बहस नहीं हो रही है। न कोई चीख रहा है और न चिल्ला रहा है। ‘हंस कर और मुस्कुरा कर सवाल पूछने वाले पद्मश्री’ को भी श्रद्धा (Shraddha) के कत्ल में जिहादी साजिश नजर नहीं आ रही। इक्का-दुक्का चैनल और अखबार ‘नक्कारखाने में तूती की आवाज’ की तरह हैं क्यों कि उनकी टीआरपी और रीडिरशिप बहुत कम या सीमित है। हालांकि श्रद्धा (Shraddha) के पिता विकास मदान ने कहा कि उनकी बेटी श्रद्धा के साथ ‘लव जिहाद’ हुआ है। उनकी बेटी का ब्रेन वॉश कर दिया गया था। श्रद्धा को आफताब ने अपने जाल में इस तरह फांसा कि उसने अपने पिता से कह दिया कि भूल जाओ श्रद्धा तुम्हारी बेटी थी। श्रद्धा ने अपने दोस्तों से बातचीत छोड़ दी थी।

सवाल उठते हैं कि अगर यह लव जिहाद नहीं था तो आफताब श्रद्धा (Shraddha) को परिवार से इतनी दूर दिल्ली क्यों लेकर आया? हत्या आवेश में की गई तो उसने लाश के 35 टुकड़े क्यों किए? क्या श्रद्धा आफताब के लव जिहाद का सीक्रेट जान चुकी थी? श्रद्धा से पहले आफताब कितनी लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बना चुका था या बनाने वाला था? श्रद्धा की लाश के टुकड़े रेफ्रिजरेटर में रखे थे और आफताब बेंवले एप पर लड़कियों से दोस्ती (जिस्मफरोशी के लिए) कर रहा था। मतलब लव जिहाद का एक और शिकार ढूंढ रहा था?

श्रद्धा की हत्या के बाद लाश के टुकड़े करने के लिए चाकू कौन सा खरीदना है, लाश को काटते समय चेहरे को कितना और कैसे ढांकना है, खून के दाग धब्बे मिटाने के लिए कौन सा कैमिकल कहां से खरीदना है? यहां तक तो पुलिस पहुंच चुकी है, लेकिन लव जिहाद के बाद श्रद्धा की हत्या के पीछे अकेले आफताब का दिमाग है या इसके पीछे कितने और दिमाग हैं, इसका इन्वेस्टिगेशन अभी बाकी है?

मीडिया का एक वर्ग और कुछ ‘बुद्धिजीवी’ इस श्रद्धा  की हत्या को आरुषि हत्याकाण्ड, निर्भया काण्ड और निठारी काण्ड जैसे वीभत्स हत्याकाण्डों से तुलना कर टीआरपी और सर्कुलेशन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी जुबान पर ‘लव जिहाद’ नहीं है…!

इस जघन्य काण्ड के पात्रों के नाम पलट दीजिए और मान लीजिए कि श्रद्धा की जगह समीना और आफताब की जगह आलोक कुमार होता तो टीवी चैनलों और अखबारों की हेड लाइंस क्या होती? सोशल मीडिया को तो छोड़ ही दीजिए। वहां तो गांव के छुट्टा सांड और गली के कुकरों की तरह पता नहीं क्या-क्या बका जा रहा होता

लव जिहाद की शिकार श्रद्धा अकेली नहीं बनी है? कई और भी हैं जो शिकार बनी और ठिकाने लगा दी गईं होंगी, सबूत मिटा दिए गए होंगे! (आफताब ने भी तो सुबूत मिटा ही दिए थे?) मां-बाप ने सामाजिक शर्मिंदगी से बचने के लिए होंठ सिल लिए, दिल पर पत्थर रख लिए होंगे…! श्रद्धा की कहानी चल ही रही है कि इसी बीच विशिष्ट पहचान वाले एक सैटेलाइट न्यूज चैनल ने दिल्ली में गुरप्रीत बनकर नूर मुहम्मद के ‘लव जिहाद’ का खुलासा किया है। व्हाट्सएप पर यह वीडियो खूब घूम रहा है।

वापस लौटकर आते हैं आफताब की कहानी पर, जिसमें कहा जा रहा है कि 18 मई की रात को पहले आफताब ने श्रद्धा को पीटा! फिर बेड पर गिरा कर वो उसकी छाती पर बैठ गया। एक हाथ से मुंह बंद किया और दूसरे हाथ से तब तक गला दबाए रखा जब तक उसकी जान नहीं निकल गई  तो क्या श्रद्धा पिटती रही? बेड पर गिर गई और आफताब को छाती पर बैठने दिया गला दबाने दिया अपना कत्ल होजाने तक?  सच्चाई क्या है ये मुर्दे नहीं बोलते, क्या हालात नहीं बता रहे कि हत्या के वक्त आफताब के साथ कोई और भी था?

श्रद्धा के कत्ल का क्राइम सीन दोहराया जा चुका है। कहानी लिखी जा चुकी है। कानूनी फॉर्मेट में सबूतों को फिट किया जाना बाकी है। सीएफएसएल रिपोर्ट आएगी। सो कॉल्ड मानवाधिकारवादियों की सीन में एंट्री हो चुकी। उनका दखल-दबाव और बढेगा।

श्रद्धा की हत्या के मामले में अदालती कार्यवाही के बाद नतीजा क्या हो, यह तो नहीं मालूम लेकिन जिस दिन श्रद्धा की हत्या (जिहदी कत्ल) का खुलासा हुआ ठीक उसी दिन सुप्रीम कोर्ट  (जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच) ने इत्तेफाकन एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि ‘धर्मांतरण’ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।

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