Shraddha Murder Case:दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस ने पूरे देश को दहला दिया है। इस केस में आये दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं कोर्ट ने श्रद्धा की हत्या के आरोपी आफताब (Aftab) की पुलिस कस्टडी 5 दिनों के लिए बढ़ा दी है। साथ ही कोर्ट ने आफताब का नार्को टेस्ट (Narco Test) करने की इजाजत भी दे दी है। दरअसल, नार्को टेस्ट में बड़े से बड़े अपराधी भी सच बोलने को मजबूर हो जाता है। नार्को टेस्ट से खूंखार अपराधी भी डरते हैं। पहले यह जान लीजिये सबसे पहले नार्को टेस्ट साल 1922 में किया गया था। रॉबर्ट हाउस नाम के एक डॉक्टर ने सबसे पहले ये टेस्ट दो अपराधियों से सच उगलवाने के लिए किया था। तो आइए अब नार्को टेस्ट के बारे में सब कुछ समझते हैं…
नार्को टेस्ट किसका होता है ?
बता दें, बड़े अपराधियों का नार्को टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट अपराध के केस को सुलझाने के लिए किया जाता है। नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है। बिना कोर्ट से इजाजत लिए पुलिस नार्को टेस्ट नहीं कर सकती। अगर करती है तो ये एक क्राइम है। श्रद्धा वॉकर मर्डर केस के आरोपी आफताब ने अपनी नार्को टेस्ट कराने की इजाजत दी थी, कोर्ट ने भी पुलिस को परमिशन दे दिया है।
कौन कर सकता है नार्को टेस्ट?
नार्को टेस्ट करने के लिए एक्सपर्ट की एक टीम बनाई जाती है। इस टीम में फॉरेंसिक एक्सपर्ट, डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक, जांच अधिकारी और पुलिस शामिल होते हैं। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना व्यक्ति के इजाजत के नार्को टेस्ट नहीं हो सकता। टेस्ट के एक्सपर्ट की टीम गठित की जाती है।
नार्को टेस्ट कैसे होता है ?
नार्को टेस्ट में ट्रुथ ड्रग दिया जाता है। जी हां, एक ऐसा ड्रग जिसको देते ही इंसान सच बोलने लगता है। ट्रुथ ड्रग में कई दवाइयां शामिल होती हैं। इन्हें इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। इथेनॉल और सोडियम पेंटाथॉल के साथ-साथ कई ऐसे इंजेक्शन लगाए जाते हैं जिससे इंसान आधी बेहोशी में चला जाता है।
आधी बेहोशी में पूछे जाते सवाल
ट्रुथ ड्रग देते ही इंसान आधी बेहोशी में चला जाता है। यानी न तो वो होश में है और न ही बेहोश। वो दोनों के बीच में कहीं है। ये स्थिति बहुत गंभीर होती है। इसीलिए एक्सपर्ट की टीम बनाई जाती है। आधी बेहोशी की हालत में इंसान झूठ नहीं बोल पाता। झूठ बोलने के लिए दिमाग को सोचना पड़ता है और कल्पना भी करना पड़ता है। ट्रुथ ड्रग देने के बाद इंसान के कल्पना करने की शक्ति खत्म हो जाती है। वह झूठ नहीं बोल पाता। आधी बेहोशी उसे सोचने ही नहीं देती।
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कैसे सवाल पूछे जाते हैं?
ट्रुथ ड्रग देने के बाद एक्सपर्ट की टीम यह जानने की कोशिश करती है कि इंजेक्शन सही से काम कर रहा है या नहीं। इसके लिए इंसान से पहले आसान सवाल पूछे जाते हैं। जैसे कि उसका नाम क्या है, उसका घर कहां है, आदि। इसके बाद एक्सपर्ट की टीम उससे ऐसे सवाल पूछती है जिसका जवाब वो ना में दे। जैसे कि, अगर कोई इंसान भारत का है तो उससे पूछा जाएगा कि क्या तुम नेपाल के हो, अगर कोई अपराधी टीचर है तो उससे पूछा जाएगा कि क्या तुम वकील हो? आदि। ऐसे सवाल इसलिए किए जाते हैं ताकि यह पता चल सके कि ट्रुथ ड्रग ठीक से काम कर रहा है या नहीं। फिर पूछे जाते हैं क्राइम से जुड़े सवाल यानी कि सख्त सवाल।
गौरतलब है, कोर्ट ने आफताब के नार्को टेस्ट की इजाजत दे दी है। जल्द ही उसका नार्को टेस्ट होगा। इस टेस्ट से पुलिस केस के और नजदीक पहुंच सकेगी। बता दें कि ऐसा जरूरी नहीं कि नार्को टेस्ट में पूरा सच सामने आ ही जाए। कई बार अपराधी सच नहीं भी बोलते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि आफताब के नार्को टेस्ट के बाद क्या सामने आता है।