अपनी नाकामी छिपाने के लिये दिल्ली सरकार ने प्रदूषण का जिम्मा पड़ोसी राज्यों पर डाला

दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ने लगा है। खास तौर पर कोरोना महामारी और वायु प्रदूषण का एक साथ होना जानलेवा साबित हो सकता है। अपनी नाकामी छिपाने के लिये दिल्ली सरकार ने प्रदूषण का जिम्मा पड़ोसी राज्यों पर डाल दिया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस प्रदूषण का मुख्य कारण पंजाब, हरियाणा व आसपास के अन्य राज्यों में पराली जलाया जाना है।

दिल्ली सरकार ने केंद्र और संबंधित राज्यों की सरकारों से वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए कार्रवाई करने की अपील की है। दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि पराली के धुएं के कारण होने वाला प्रदूषण पूरे उत्तर भारत की समस्या है और अकेले दिल्ली सरकार इसे नहीं सुलझा सकती।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "पराली का धुआं दिल्ली में आने लगा है। दिल्ली सरकार दिल्ली में अपना खुद का प्रदूषण कम करने का प्रयास कर रही है। इसके तहत दिल्ली के हरियाली क्षेत्र को बढ़ाया गया है और इलेक्ट्रिकल वाहनों के लिए नई पॉलिसी बनाई गई है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है, स्मोक टावर लगाया जाएगा।"

दिल्ली सरकार के मुताबिक, राजधानी में प्रदूषण को कम करने के लिए जो प्रभावी कदम उठाए जा सकते थे, वे उठाए गए हैं। सरकार का मानना है कि दिल्ली में उठाए गए कदमों का असर भी देखने को मिला है। केजरीवाल सरकार चाहती है कि अन्य राज्य सरकारें भी प्रदूषण को लेकर ठोस कदम उठाएं।

सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली सरकार लगातार पूरे साल प्रदूषण कम करने पर कार्रवाई कर रही है। हालांकि पराली का प्रदूषण दिल्ली की देन नहीं है। यह दिल्ली के लिए एक समस्या है, लेकिन दिल्ली के अलावा पूरा उत्तर भारत पराली जलाए जाने से प्रभावित होता है। पराली जलाने की समस्या से निबटने के लिए विभिन्न सरकारों ने कोई काम नहीं किया है, जिसका नुकसान सिर्फ दिल्ली को ही नहीं उठाना पड़ रहा है, बल्कि उत्तर भारत के कई राज्यों में यह समस्या है।"

सिसोदिया ने इस संबंध में केंद्र सरकार से भी कार्रवाई करने की अपील की है। सिसोदिया ने कहा, "कोरोना काल में इस प्रकार का प्रदूषण एक जानलेवा खतरा बन गया है। यह सिर्फ दिल्ली के लिए खतरनाक नहीं है, बल्कि पंजाब के जिस किसी गांव में पराली जलाई जा रही है, वहां रहने वाले किसान-मजदूर और उनके परिवारों के लिए भी बुरा है। मैं केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से निवेदन करना चाहता हूं कि वे इस ओर ध्यान दें।"

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए गठित की गई विशेष समिति एपका पर भी दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए। उपमुख्यमंत्री ने दिल्ली और उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण पर एपका की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "क्या इस प्रदूषण पर एपका भी फेल हो गई है। अभी तो ऐसा ही लग रहा है कि एपका फेल हो गई है। सर्दियों में कोरोना भी बढ़ेगा और प्रदूषण बढ़ने की स्थिति की स्थिति से हालात और खराब होंगे। एपका को सरकारों पर दबाव डालना चाहिए कि इस वायु प्रदूषण को खराब होने से रोका जा सके।".

डॉ. शफी अयूब खान

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