आशुतोष कुमार
Tourist Rescued: शिमला: लाहौल-स्पीति के ऊंचाई वाले जिले चंद्रताल में फंसे सभी 290 पर्यटकों को चार दिनों के कठिन बचाव अभियान के बाद आखिरकार गुरुवार को सुरक्षित निकाल लिया गया। इनमें से ज्यादातर गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के थे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा आगे से बचाव अभियान का नेतृत्व करने की सलाह के बाद राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी जेसीबी सड़क साफ करने वाली मशीन पर सवार होकर लगभग 2 बजे चंद्रताल पहुंचे।
अधिकारियों ने कहा कि नेगी लगभग 18 घंटे के बाद चंद्रताल पहुंचे, क्योंकि सड़क बचाव दल को कुंजुम दर्रे से चंद्रताल तक तीन से चार फीट बर्फ से ढके मार्ग को साफ करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
“चंद्रताल, जो अपनी चंद्र झील के लिए जाना जाता है, चार फीट ताजा बर्फ के नीचे था और यह स्थान शून्य से नीचे की स्थिति में था। 58 वाहनों में अलग-अलग जत्थों में पर्यटकों की आवाजाही आज सुबह शुरू हुई। वाहनों का अंतिम जत्था दोपहर 2.30 बजे चंद्रताल से लोसर के लिए रवाना हुआ, जिससे अंततः सभी पर्यटकों के लिए जगह खाली हो गयी।” पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य कर रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने इसकी पुष्टि की।
इससे पहले दो दिन पहले दो बुजुर्गों और एक बच्ची समेत सात बीमार लोगों को हवाई मार्ग से भुंतर पहुंचाया गया था।
मुख्यमंत्री ने खुद चंद्रताल का पहले सर्वेक्षण किया था और अपने मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव को वहां उतार दिया था और उनसे कहा था कि वे तभी लौटें जब वह स्थान सभी फंसे हुए पर्यटकों से खाली हो जाये।
सुक्खू ने इंडिया नैरेटिव को बताया,“पर्यटक सुरक्षित थे, लेकिन स्थितियां अत्यधिक दयनीय थीं। घटनास्थल पर सुरक्षित लैंडिंग स्थल नहीं होने के कारण भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर के पायलट उड़ान नहीं भर सके। इसके बाद मैंने एक ग्राउंड ऑपरेशन आयोजित करने का निर्णय लिया। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि फंसे हुए हर एक व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया जायेगा।”
मुख्यमंत्री ने कुल्लू में पत्रकारों से कहा कि प्रशासन ने पिछले 60 घंटों के दौरान लगातार बारिश के कारण अचानक आयी बाढ़ और भूस्खलन से तबाह हुए विभिन्न स्थानों से 60,000 लोगों को बचाया है।
उन्होंने कहा कि इजरायली दूतावास ने कसोल और आसपास के इलाकों में फंसे अपने नागरिकों की संख्या के बारे में सूचित किया था और उन्हें निकालने के लिए कहा था।
“हमारी टीमें उनके साथ कठिन परिस्थितियों में हैं और हमने उन्हें हवाई निकासी की पेशकश की, लेकिन उनमें से कई इच्छुक नहीं थे और रुकना चाहते थे। हमने यह मामला दूतावास पर छोड़ दिया है कि वह खुद उन्हें एयरलिफ्ट करे या सरकार निकासी की व्यवस्था करेगी।”
छह इजराइलियों को मणिकरण लाया गया है और 37 इजराइली बरशैनी में हैं और वे सभी सुरक्षित हैं।
मनाली में फंसे रूस और ताइवान के पांच विदेशी नागरिकों को भी आज दोपहर दिल्ली लौटने की सुविधा प्रदान की गयी।
समान रूप से साहसी बचाव अभियान में 60 विदेशियों सहित 118 पर्यटकों को किन्नौर के सांगला से एयरलिफ्ट किया गया, क्योंकि वे चीन सीमा के करीब इस पर्यटन स्थल पर फंसे हुए थे।
बादल फटने के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन और अचानक आयी बाढ़ ने इस क्षेत्र में तबाही मचा दी थी और सभी सड़क संचार टूट गये थे।
इस बीच इजराइल मिशन के उपप्रमुख ओहद नकाश कयनार ने गुरुवार को ट्वीट किया, “महानिदेशक और राजदूत के निर्देश पर हिमाचल प्रदेश जा रहे हैं ताकि कसोल, कालगा और पुलगा जैसे बाढ़ग्रस्त इलाकों में मौजूद इजराइली पर्यटकों से दोबारा संपर्क करने का प्रयास किया जा सके।”
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा, “राज्य में कुल 1,020 सड़कें अब भी अवरुद्ध हैं, जबकि 2,498 ट्रांसफार्मर और 1,244 जलापूर्ति योजनायें बाधित हैं।”
24 जून को राज्य में मानसून की शुरुआत के बाद से बारिश से संबंधित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में 88 लोगों की मौत हो गयी है, और 100 लोग घायल हो गये हैं और 16 अब भी लापता हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने कहा कि कुल 170 घर पूरी तरह से और 594 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये हैं।
अधिकारियों ने कहा कि हिमाचल रोडवेज परिवहन निगम के 1,128 मार्गों पर बस सेवायें निलंबित हैं और 302 बसें रास्ते में रुकी हुई हैं।
प्रधान सचिव (आपदा प्रबंधन) ओंकार चंद शर्मा ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा, “हमारी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को निकालना और संचार नेटवर्क बहाल करना है।”
इस बीच कुल्लू में बाढ़ और बारिश के दौरान लापता लोगों के 20 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें से 11 शवों की पहचान नहीं हो पायी है।
कुल्लू में बिजली, पानी की आपूर्ति और दूरसंचार सेवायें आंशिक रूप से बहाल कर दी गयी हैं, जहां भारी तबाही हुई है।
परवाणू-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी यातायात बहाल कर दिया गया है, जिससे हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में दूध, ब्रेड, सब्जियां, दही और समाचार पत्र जैसी आवश्यक आपूर्ति फिर से शुरू करने में मदद मिली है।
राज्य में बाढ़ और लगातार बारिश के बाद शिमला में पिछले पांच दिनों से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।