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पंजाब के 5 बार के मुख्यमंत्री रहे बादल का निधन पर केंद्र ने किया राजकीय शोक का ऐलान

शिरोमणि अकाली दल के नेता और पांच बार पूर्व मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात निधन हो गया

शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पांच बार के पूर्व मुख्यमंत्री 95 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात चंडीगढ़ के बाहरी इलाके मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।

“इस दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान के रूप में भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि पूरे भारत में 26 और 27 अप्रैल, 2023 को दो दिनों का राजकीय शोक होगा।

शोक के इन दिनों में राष्ट्रीय ध्वज उन सभी भवनों पर आधा झुका रहेगा, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है और इन दो दिनों में कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।

उचित चिकित्सा प्रबंधन के बावजूद एस प्रकाश सिंह बादल ने बीमारी के कारण आख़िरकार दम तोड़ दिया। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने भी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है।

पूर्व मुख्यमंत्री को एक सप्ताह पहले फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, क्योंकि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

एक ट्वीट थ्रेड में प्रधानमंत्री ने कहा:

“श्री प्रकाश सिंह बादल जी के निधन से बेहद दुखी हूं। वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे, और एक ऐसे उल्लेखनीय राजनेता थे, जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया है। उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया।

श्री प्रकाश सिंह बादल का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। मैंने उनके साथ कई दशकों तक निकटता से बातचीत की है और उनसे बहुत कुछ सीखा है। मुझे हमारी कई बातचीत याद आती हैं, जिसमें उनकी बुद्धिमत्ता हमेशा स्पष्ट रूप से दिखायी देती थी। उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदनायें।”

बादल 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने थे, पंजाब में इस शीर्ष पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।

सात दशकों से अधिक लंबे अपने राजनीतिक करियर में वह केवल दो चुनाव हारे, 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में मिली हार उनकी नवीनतम हार थी, जब अकाली दल और कांग्रेस दोनों हार गये और AAP सत्ता में आ गयी।

बादल तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के दौरान जेल गये थे और जून 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान भी उनकी गिरफ़्तारी हुई थी, जब सेना ने आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रवेश किया था।

अकाली दल केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा था, लेकिन उनकी पार्टी ने 2020 में केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया था। प्रकाश सिंह बादल ने प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया  था। किसान अकाली दल का समर्थन आधार बनाते हैं।