पूरे देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में जोर दिया जा रहा है। बीते सालों में महिलाओं के काम करने की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। अब महिलाएं वे सभी काम करती हुईं नज़र आती हैं, जिसे अंजाम देने का सिर्फ़ पुरुषों का ही हक़ माना जाता था। मौजूदा समय में देश में महिलाएं बस, ऑटो के साथ -साथ रेल और मेट्रो ट्रेनें भी चला रही हैं।
मुंबई मेट्रो की लाइन 7 और 2ए में महिला सशक्तिकरण का शानदार मौजूदगी देखी जा रही है। लाइन 2ए पर अकुरली और लाइन 7 पर एकसार स्टेशन हैं, जो कि इस साल जनवरी महीने में ही शुरू हुए थे। इस मेट्रो लाइन पर 30 प्रतिशत महिला कर्मचारी काम करती हैं। यह महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण है।
इस मेट्रो लाइन की एक और ख़ास बात है कि यहां के तकनीकी विभाग में भी महिलाओं की एक स्पेशल टीम है, जिसमें कुल 305 कर्मचारी हैं और उसमें से 63 महिलायें तकनीशियन के रूप में नियुक्त हैं। वे रोलिंग स्टॉक के सभी तकनीकी कामों को नियंत्रित करती हैं। ये सभी महिलायें तकनीशियन प्राथमिक रखरखाव, निरीक्षण और गियर गड़बड़ी के तहत मरम्मत, पेंटाग्राम (ओएचई) रखरखाव के साथ-साथ वे छोटे-मोटे नट बोल्ट भी ठीक करती हैं।
इतना ही नहीं इस मेट्रो लाइन पर अधिकतर महिलायें हैं, जो मेट्रो चलाती हैं। इस लाइन पर क़रीब 21 महिला ड्राइवर हैं, जबकि मेट्रो को सिग्नल देने वाले डिपार्टमेंट में भी महिला कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। वहीं, महिला कर्मचारी टिकट डिपार्टमेंट और अन्य कई विभागों में भी अहम किरदार निभा रही हैं और इनकी सख्यायें ज़्यादा हैं। महिलाओं की मौजूदगी इस बात का भरोसा दिलाती है कि व्यवस्था चाकचौबंद है और सुरक्षा में चूक का सवाल ही नहीं है,क्योंकि महिलायें जननी होती हैं और उन्हें हर जान की क़ीमत बख़ूबी पता है।