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BJP में आतंकियों की सेंधमारी? मीलॉर्ड-सेक्युलरिज्म महामारी, नुपुर शर्मा-तस्लीम रहमानी- एक अफसाना कई कहानी!

Wakeup Call for BJP

भारत के बदलते परिवेश में जहां आम आदमी को जागरूक रहने की जरूरत है तो वहीं मीलॉर्डो को भी अहंकार और एकोअहम् से बाहर आना होगा। इसी के साथ सबसे बड़ी जरूरत सत्ता पक्ष यानी बीजेपी सहित एनडीए के सभी घटक दलों को स्वंय तुष्टिकरण और खुद को पतित पावनी गंगा समझने की भूल को सुधारना होगा। बीजेपी ही क्यों न हो वो गंगा नहीं है कि उसमें किसी को भी डुबकी लगाकर पवित्र और सहिष्णु बनाया जा सकता है।

सत्ता और संगठन के लिए Wakeup कॉल

उदयपुर और गियारसी की घटना के बाद तो बीजेपी के नेताओँ की आंखें ही नहीं दिमाग भी खुल जाने चाहिए। मुसलमानों को पार्टी में शामिल करने की होड़ में कट्टरपंथियों और आतंकियों का पार्टी और पार्टी के अनुषांगिक संगठनों में शामिल होना बीजेपी के लिए आत्मघाती कदम है। बीजेपी के उन नेतओं को आत्मनिरीक्षण का समय है जो कथित सेक्युलर चेहरा दिखाने के लिए मुसलमानों को आंख मूंद कर पार्टी में शामिल कराने के लिए आतुर हैं। भारत के अधिकांश मुसलमान न आतंकवादी हैं न अतिवादी हैं और न कट्टरवादी। इसलिए उन्हें हाशिए पर नहीं डाला जा सकता। तो यह भी सही है कि रियाज और गौस मुहम्मद जैसे मुसलमान भेड़ की शक्ल में भेड़िए हैं।

संगठन में आतंकियों की सेंधमारी

उदयपुर के आतंकी रियाज के बारे में सारी बातें तो मीडिया में आ ही चुकी हैं। रियाज, उदयपुर ही नहीं राजस्थान बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ कई स्थानों पर देखा गया है। वो पार्टी के कार्यक्रमों में भी शामिल रहा है। बीजेपी की मुख्यधारा से मुसलमानों क जोड़ना है। मुसलमानों के भय और भ्रम को समाप्त करने और उन्हें अपने साथ लाने और चलने की जिम्मेदारी बीजेपी के पदाधिकारियों की जरूर है लेकिन आतंकियों और कट्टरवादियों को जोड़कर पार्टी और मुसलमान दोनों का नुकसान हो रहा है।

अहंकार छोड़ें, अन्तर्यामी नहीं हैं  BJP के नेता

बीजेपी के शीर्ष लोगो को अपना अहंकरा छोड़कर, आरिफ मुहम्मद खान, जफर इकवाल, शहनवाज, मुख्तार अब्बास नक्वी, शाजिया, निगहत जैसे लोगों पर ही जिम्मेदारी देनी चाहिए कि वो अपने जैसे मुस्लिम युवक-युवतियों को पार्टी के साथ जोड़ें। वरना, बीजेपी में छद्मवेशी आतंकी-कट्टरवादी मुसलमान घुस जाएंगे और फिर ओवैसी-संजयखैड़ा जैसों के सवालों का जवाब नहीं मिलेगा। ये वो ताकतें हैं जो सामान्य मुसलमानों को कट्टरवादी मुसलमान बनने के लिए उकसाते हैं। ओवैसी-मदनी-रशीदी तो उदाहरण हैं- ऐसी न जाने कितनी ताकतें हैं जिन्होंने यह तो कहा कि पैगंबर की आलोचना करने वालों पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, लेकिन इनमें से किसी ने यह नहीं कहा कि मुसलमानों को भी सनातानी देवी-देवताओं और पूजा पद्यति-प्रतीकों का अपमान नहीं करना चाहिए। ये बहुत चालाक लोग हैं। बीजेपी और एनडीए घटक दलो को ऐसी ताकतों और लोगों को नजदीक से पहचानना होगा।

मीलॉर्ड  के न्याय  की मीमांसा

मीलॉर्ड, भी इंसान हैं। वो भी कही-सुनी बातों से प्रभावित हो सकते हैं। वो न तो एलियन हैं न ही पत्थर जैसे तटस्थ। लेकिन जिस प्रक्रिया से उनका चयन न्याय की वेदी के लिए किया जाता है उसकी मर्यादा है कि उन्हें पत्थर न सही लेकिन मंदिर की प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति की तरह तटस्थ ही रहना होगा। उन्हें हर हाल में न्याय देना ही होगा। मीलॉर्ड 100 में से 99 मामलों में न्याय करते हैं तो उन्हें एक मामले में अन्याय करने की छूट नहीं मिल जाती। जिस संदर्भ में यहां बात चल रही हैं उस संदर्भ में तो मीलार्ड को आसंदी पर बैठते ‘समय स्वंय के भूतकाल’को ध्यान में रखकर टीका-टिप्पणी करनी चाहिए।  भारत का संविधान जिला अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक न्यायवेदी पर बैठे व्यक्ति विशेष से अपेक्षा करता है कि हर दशा में न्याय हो।

सांस्कृतिक संगठन को सत्ता की भाषा शोभा देती है?

एक बात और, ट्रायल कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तो नहीं बन सकता लेकिन सुप्रीम कोर्ट अगर ट्रायल कोर्ट जैसा व्यवहार करेगा तो ट्रायल कोर्ट ‘मीलॉर्ड’को गवाह और सबूत के साथतलब कर सकता है। भारत में समरथ को नहीं कोई दोस गुसाईं और बॉस इज ऑलवेज राइट जैसी कहावतें तो हैं, लेकिन मीलॉर्ड संविधान से न ऊपर हैं न बाहर। ट्रायल कोर्ट में भी संविधान की ‘लिखावट’ही चलती है। मीलार्ड से एक बार फिर माननीयों की ओर चलते हैं। सत्ता-माया है और माया महा ठगनी। आरएसएस सांस्कृतिक संगठन है जो सत्ता से दूर रहता है तो उसे सत्ता की भाषा से भी दूर रहना चाहिए।

भेड़ की खाल में भेड़ियों की पहचान कैसे करोगे, संदर्भः उदयपुर और रियासी

उदयपुर और रियासी में पकड़े गए आतंकियों के बाद बीजेपी को देश भर में चलाए जा रहे सदस्यता अभियानों की समीक्षा करनी होगी। कई फिल्टर लगाने होंगे। उदयपुर के आतंकी के फोटो मीडिया में छापे जा रहे हैं। रियासी में एके 47 सहित भारी गोला-बारूद के साथ पकड़ा गया आतंकी तालिब हुसैन लश्कर का स्थानीय कमांडर था। वो जम्मू बीजेपी की सोशल मीडिया सेल का प्रभारी रह चुका है। उदयपुर से लेकर रियासी तक कुछ और भी हो सकते हैं। बीजेपी कैसे स्कैन करेगी सबको। कैसे पहचान करेगी कि भेड़ की शक्ल में भेड़िया कौन है?