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नए साल पर UP के CM योगी का सनसनीखेज खुलासा, देखें माफिया राज पर क्या बोले संन्यासी मुख्यमंत्री

माफिया के खात्मे के लिए मठ को त्याग संभाली मुख्यमंत्री की कुर्सी- योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कहा है कि अपना मठ छोड़ कर सक्रिए राजनीति में आने का उनका एक खास मकसद यूपी से माफिया राज का खात्मा है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पुलिस-प्रशासन को उनका पहला आदेश प्रदेश की जनता को भयमुक्त करना था। योगी ने टाइम्स ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बताया कि 1994-95 की एक घटना ने उन्हें बहुत जोर से झकझौर दिया था। गोरखपुर के एक संभ्रांत परिवार ने अपनी दो हवेलियों को इसलिए ढहा दिया क्यों कि उस समय की सरकार ने दोनों हवेलियां माफियाओं के नाम कर दीं थीं। उसी दिन कसम खाई थी कि यूपी को माफिया से मुक्त कराना है।

सीएम योगी ने बताया कि जब वो वह उन परिवार के लोगों से मिले और पूछा कि हवेलियां क्यों ढहा दीं थीं उनमें से एक ने बताया कि अगर हवेलियां न गिराते तो जमीनों से भी हाथ गंवा बैठते कम से कम जमीन तो हमारे पास है। योगी ने कहा कि उस व्यक्ति की दारुण कथा सुनकर मेरा दिल रो दिया और मैंने अपने संकल्प को और मजबूत किया।

गोरखपुर की ही एक और घटना का जिक्र करते हुए योगी ने बताया कि एक घर पर तत्कालीन मंत्री महोदय कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे। जब वो (योगी) उस जगह पर पहुंचे तो देखा घर के सामान को बाहर फेंका जा रहा था। भीड़ खड़ी देख रही थी। मैंने भीड़ से माफिया को पिटवाया।

योगी ने कहा कि आजयूपी में माफिया का खात्मा हो रहा है। अपराधी अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर वे गैरकानूनी तरीके से कुछ भी कब्जा करने की कोशिश करेंगे तो बुलडोजर चल जाएगा। योगी ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफियाओं की ओर उनका इशारा था।

योगी कहते हैं कि माफिया तो माफिया होता है। उसे किसी जाति, धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ना चाहिए। माफिया समाज का दुश्मन होता है और यह कोरोनावायरस से भी बुरा है। योगी ने कहा कि कभी केंद्रीय नेतृत्व की वजह से राज्य कमजोर रहते होंगे लेकिन पीएम मोदी के शासन में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को खुला अधिकार है कि वो अपराधियों-आसामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। जनता को सुशासन दे। शांति-सद्भाव का वातारण दें। इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रीज को मजबूत करें। खेती-किसानी को सुदृढ़ करे। किसानों को सम्मान और उनकी फसलों का उचित दाम मिले। रोजगार बढ़े, राज्य के लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़े। उत्तर प्रदेश इस दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है।