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ब्लू मून किसे कहते हैं जो कल दिखेगा! अगर नहीं देखा तो फिर करना पड़ेगा अगले तीन साल इंतजार

ब्लू मून किसे कहते है

Blue Supermoon: अगर आप भी चांद देखने के शौकीन है, तो ये खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए। 30 अगसत को आसमान में ब्लू सुपरमून नजर आने वाला है। सुपर ब्लू मून इस साल अब तक दिखाई देने वाला तीसरा सबसे बड़ा चांद होगा। 30 अगस्त को चांद का साइज रोजाना की तुलना में 7 प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देगा। इस घटना को अपनी आंखों में कैद करने वाले याद रखें कि ऐसा नजारा कई सालों तक दोबारा देखने को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि ब्लू सुपरमून हर 2 या 3 साल के बाद ही देखने को मिलता है। अब ऐसी घटना 2026 में देखने को मिल सकती है। 2018 को ब्लू सुपरमुन के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से 3,57,530 किमी की दूरी पर था, जबकि 30 अगस्त को चंद्रमा 3,57,344 किमी और भी करीब होगा। आखिर क्या है ब्लू मून? क्या हैं इसके मायने? यह कब और किन हालातों में होता है? खगोल शास्त्री (Astronomy) सुपर मून, ब्लू मून जैसे टर्म का यूज करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये यदा-कदा होने वाली घटना है। अगस्त 2023 ऐसा महीना है, जब दो बार पूर्णिमा है। एक अगस्त और 30 अगस्त ऐसा बहुत कम होता है, जब एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा हो। पूर्णिमा का मतलब खिला हुआ चांद। जो महीने में एक बार पड़ती ही है। वैज्ञानिकों ने 1 अगस्त की पूर्णिमा को सुपर मून कहा और 30 अगस्त की पूर्णिमा को ब्लू मून के नाम से जाना जाएगा। इसके बाद अगला ब्लू मून 2026 में होगा।

ढाई-तीन साल में एक बार

ब्लू मून हर साल नहीं बल्कि ढाई-तीन साल में एक बार होता है। इन घटनाओं के पीछे कारण यह है कि चांद, पृथ्वी के चक्कर लगाता रहता है। इस क्रिया में 27 से 29.5 दिन तक लगता है। आपके मन में सवाल होगा कि पृथ्वी एक और चांद एक तो इतने दिन का अंतर क्यों? इसका कारण यह है कि पृथ्वी गोल या अंडाकार नहीं है। हालांकि, आम धारणा यही है कि पृथ्वी गोल है, ऐसा कई जगह लिखा भी मिल जाता है पर, सच यह नहीं है। न ही पृथ्वी गोल है और न ही अंडाकार। यह बीच-बीच में कहीं अंदर तो कहीं बाहर की ओर निकली हुई है।

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इसीलिए चंद्रमा को चक्कर लगाने में भी फर्क आ जाता है। हर साल में 365 दिन होते हैं। इस तरह चाँद हर साल कम से कम 12 चक्कर तो पुख्ता तौर पर लगाता है, फिर भी कुछ 11-12 दिन बढ़ते हैं। इस तरह ढाई से तीन साल में ऐसा मौका आता है जब ब्लू मून की स्थिति बनती है। इस दिन चाँद कुछ ज्यादा बड़ा, चमक के साथ और साफ-सुथरा दिखता है। बस बादल नहीं होना चाहिए। ये कई बार बाधा बनकर खड़े हो जाते हैं, तब हम ब्लू मून का आनंद नहीं उठा पाते।

धरती से इतनी चांद की दूरी

चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर से कुछ ज्यादा कहा जाता है पर पृथ्वी की परिक्रमा लगाते हुए यह कई बार यह दूरी घटती-बढ़ती हुई दिखती है लेकिन खगोल विज्ञानी कहते हैं कि यह सामान्य दिनों में भी 3.63 लाख किलोमीटर से कम नहीं आता। एक अगस्त, 2023 को जब सुपर मून की स्थिति बनी तब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 3.57 लाख किलोमीटर थी। इसलिए उस दिन चाँद सामान्य पूर्णिमा से ज्यादा चमकदार दिखाई दे रहा था। इसी तरह ब्लू मून के समय भी चाँद पृथ्वी के ज्यादा समीप होता है और वह सामान्य पूर्णिमा से बड़ा भी दिखाई देता है।