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किसान आंदोलन : राज्यसभा सदस्य ढींडसा ने पद्मभूषण लौटाया

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए 3 कृषि कानूनों  का विरोध करते हुए और चल रहे <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/farmers-protests-amit-shah-farmers-burari-ground-government-ready-talk-19662.html">किसान आंदोलन</a> के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने गुरुवार को साल 2019 में मिले अपने पद्मभूषण सम्मान को लौटाने की घोषणा की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ढींडसा शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख भी हैं। यह दल सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाले एसएडी से अलग हुआ एक समूह है।

एसएडी संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के बाद ढींडसा पंजाब के दूसरे ऐसे नेता हैं, जिन्होंने 'भारत सरकार द्वारा किसानों के साथ विश्वासघात' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की पैरवी करने के लिए अपना पद्म सम्मान लौटाया है।

ढींडसा को मार्च 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने मीडिया को बताया कि वह कृषि कानूनों के विरोध में अपना अवॉर्ड लौटा रहे हैं। उन्होंने कहा, "किसानों को नजरअंदाज किया जाता है, इसलिए यह अवॉर्ड बेकार है।"

गौरतलब है कि उनकी पार्टी में एसएडी के विद्रोही शामिल हैं। जिन्होंने साल 2017 की चुनाव की हार के लिए सुखबीर बादल को दोषी ठहराया और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के बाद इसमें उनकी 'संदिग्ध' भूमिका का दावा किया।

जबकि <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/pm-modi-in-varanasi-on-dev-deepawali-2020-live-updates-19797.html">प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी</a> ने वाराणसी में सोमवार को कहा कि किसानों के साथ छल करने वाले लोग उन्हें भविष्य का डर दिखाकर बहकाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार का कोई भी कानून उनके खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि नए कानून से किसानों को छल से बचाने का विकल्प मिला है। किसानों के लिए नए प्रकल्प और विकल्प दोनों साथ-साथ चलें, तभी देश का कायाकल्प होता है।

मोदी ने कहा, “सरकारें नीतियां बनाती हैं। नीतियों पर वाजिब सवाल उठता है, तो उसका लाभ होता है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम फैलाकर, आशंकाएं फैलाकर गलत प्रचार किया जा रहा है।".

डॉ. शफी अयूब खान

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