Categories: कृषि

आढ़तियों में मंडियों के भविष्य की चिंता, शुल्क हटाने की मांग

कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की समृद्धि के मकसद से मोदी सरकार द्वारा लाए गए दो अहम विधेयकों से मंडी के आढ़तियों और कारोबारियों में देशभर में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है। क्योंकि मंडियों में मंडी शुल्क लगता है, जबकि कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 में मंडी के बाहर कृषि उत्पादों के विपणन पर कोई शुल्क नहीं है।

इन विधेयकों को लेकर कारोबारियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि जब मंडी के बाहर शुल्क मुक्त व्यापार होगा तो कोई किसान भला मंडी क्यों आएगा, इसलिए कारोबारी मंडी शुल्क हटाने की मांग कर रहे हैं।

कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 के साथ-साथ आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बार-बार दोहराया है कि इन विधेयकों से कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और इसका सबसे ज्यादा फायदा देश के किसानों को मिलेगा। हालांकि पंजाब और हरियाणा के किसानों को इन विधेयकों से मंडी-व्यवस्था प्रभावित होने से उनकी फसलों की खरीद को लेकर आशंका बनी हुई है, जबकि मंडी समाप्त होने की चिंता पूरे देश के व्यापारियों को सता रही है।

पंजाब के लुधियाना जिला स्थित खन्ना अनाज मंडी एशिया में अनाज की सबसे बड़ी मंडी है। यहां के ट्रेडर यानी कारोबारी हरवंश लाल कहते हैं कि उन्हें विधेयक या किसी कानून को लेकर कोई एतराज नहीं है, बल्कि वह चाहते हैं कि मंडी के बाहर जिस तरह शुल्क नहीं है, उसी तरह मंडी के भीतर भी कृषि उत्पादों की खरीद पर कोई शुल्क न हो।

यह मांग सिर्फ पंजाब के हरवंश लाल की नहीं है, बल्कि हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के काराबारी भी चाहते हैं कि कृषि उत्पादों के विपणन पर मंडी-शुल्क समाप्त हो। हरियाणा के समालखा स्थित अनाज मंडी के कारोबारी सुनील बंसल ने कहा, "किसान, आढ़ती और ट्रेडर की चिंता है कि मंडी के बाहर जब कोई शुल्क नहीं लगेगा तो किसान मंडी नहीं आएंगे इस तरह मंडी समाप्त हो जाएगी।"

मध्यप्रदेश के उज्जैन के कारोबारी संदीप सारदा ने उदाहरण के साथ बताया कि डॉलर चना का भाव 6700 रुपये प्रतिक्विंटल है और मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क 1.70 फीसदी तो मंडी से खरीदने पर कारोबारी को 114 रुपये ज्यादा देना होगा, जबकि मंडी के बाहर कुछ भी नहीं, तो कारोबारी मंडी के बाहर से ही खरीना पसंद करेगा।

व्यापार करने वाले व्यापारी एवं अरबों रुपये खर्च कर तैयार किए संसाधन कबाड़ हो जाएगा। एक बार किसी भी व्यापार या उद्योग की पटरी से उतरने के बाद बहुत मुश्किल से सुधरती है। मंडी में काम करने वाले व्यापारी ने गोदाम बनाने मशीन लगाने व्यापार करने की चल पूंजी बैंक से लोन ले रखे हैं। मंडी से व्यापार खत्म होने पर बैंक का कई अरब रुपया फंस या डूब जाएगा। किसान को सुविधा चाहिए, इसलिए ज्यादातर किसान मंडी से बाहर ही उपज बेचना पसंद करेंगे।

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने आईएएनएस से कहा कि यह विकल्प नहीं, बल्कि भामाशाह (व्यापारी) को समाप्त करने की साजिश है। उन्होंने कहा, "मंडियों में हमारे हजारों करोड़ रुपये लगे हुए हैं और राज्य सरकारों के भी हजारों करोड़ रुपये लगे हुए हैं जो अब खंडहर बन जाएगा।" हालांकि गुप्ता भी कहते हैं कि मंडियों में अगर मंडी शुल्क नहीं लगेगा तो कारोबारियों को कोई नुकसान नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर स्थित मंडी के कारोबारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि विभिन्न राज्यों में मंडी-शुल्क अलग-अलग है, लेकिन अगर शुल्क समाप्त कर दिया जाए तो किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को भी फायदा मिलेगा।

कृषि उपज विपणन मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि यह एपीएमसी के एकाधिकार को खत्म करने का प्रयास है। इससे प्रतिस्पर्धी बाजार व्यवस्था के बजाय अल्पाधिकार यानी 'ऑलिगोपोली' विकसित होने का खतरा बना हुआ है, जहां किसान कॉर्पोरेट के मोहताज बन जाएंगे। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि एमपीएमसी मंडियों मंे अगर कृषि उत्पादों की खरीद पर कोई शुल्क नहीं लगेगा तो फिर बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और शुल्क नहीं लगने से किसानों को उत्पादों का ज्यादा दाम मिलेगा।.

डॉ. शफी अयूब खान

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago