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Chaitra Navratri 2022: दुख और पीड़ा से पाना है मुक्ति तो नवरात्र से पहले करें ये कार्य, इन बातों को न करें नजरअंदाज

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2 अप्रैल से मां दुर्गा के नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। देशभर में मां दुर्गा के नवरात्रि को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन दिनों में मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ करना लाभकारी होता है। और विशेष फलदायी होता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि में विकास होता है। इससे मां प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। वरना, पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।

 

खास हैं सप्तशती पाठ

धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय होते हैं और इसमें 700 श्लोकों के द्वारा मां दुर्गा की आराधना की जाती है।

 

दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम

आपको बता दें कि मां दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके लिए पहले गणेश स्थापना की जाती है। और फिर विधिवत तरीके से पूजा करें।

यह पाठ साफ-सुथरे लाल रंग का वस्त्र बिछाकर ही करना चाहिए। साथ ही, पुष्प, कुमकुम और चावल से पूजा की जाती है।

पाठ से शापोद्धार करना बेहद जरूरी है। कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है।

दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र, कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना जरूरी होता है इसके बाद ही इसका पाठ किया जाता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ शब्दों के सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती पाछ करते समय इस बात का ध्यान रखे कि किताब हाथ में लेकर न पढ़ें।  इसे किसी चौकी, स्टैंड पर रखकर ही पढ़ें। इससे मां जल्दी प्रसन्न होती हैं।